क्या महादेव का संसार वाकई अद्भुत है?

Click to start listening
क्या महादेव का संसार वाकई अद्भुत है?

सारांश

महादेव का अद्भुत संसार क्या है? जानिए गुजरात के गंगेश्वर महादेव मंदिर के बारे में, जहां अरब सागर लगातार शिवलिंग का जलाभिषेक करता है। पांडवों द्वारा स्थापित ये शिवलिंग अपने चमत्कारों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।

Key Takeaways

  • गंगेश्वर महादेव का मंदिर पांडवों द्वारा स्थापित है।
  • यहां के शिवलिंग का जलाभिषेक समुद्र द्वारा किया जाता है।
  • दर्शन के लिए भक्तों को समुद्र में पैदल चलकर जाना होता है।
  • स्तंभेश्वर महादेव मंदिर दिन में दो बार जलमग्न होता है।
  • इन मंदिरों की मान्यता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

नई दिल्ली, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महादेव का संसार वाकई अद्भुत है। भारत के हर कोने में महादेव के ज्योतिर्लिंग के साथ कई ऐसे शिवलिंग भी हैं, जिनके चमत्कारों के बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। गुजरात में एक ऐसा धाम है, जहां समुद्र के किनारे चट्टान के नीचे 5 शिवलिंग विराजमान हैं और अरब सागर इनका लगातार जलाभिषेक करता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इन शिवलिंग को पांडवों ने स्थापित किया था।

गुजरात के फुदम गांव में स्थित गंगेश्वर महादेव का यह मंदिर, जिसे पांडवों द्वारा वनवास के दौरान स्थापित किया गया माना जाता है, गुजरात के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहां महादेव का अभिषेक आठों प्रहर समुद्र द्वारा किया जाता है।

चट्टानों से बनी गुफा में स्थित यह शिवलिंग हर कुछ समय में समुद्र की लहरों द्वारा अभिषेक होता है। इस मंदिर में भगवान गणेश, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां भी हैं। इन पांचों शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है। इस मंदिर को पंच शिवलिंग मंदिर और सीशोर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

यह मंदिर दीव के एक छोटे से द्वीप में स्थित है, जो गुजरात के सौराष्ट्र प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे पर है।

गुजरात के भावनगर में, कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर अरब सागर में निष्कलंक महादेव का मंदिर है। यहां समुद्र की लहरें रोज़ पांच शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं।

मान्यता है कि इस शिवलिंग के पास एक कुंड है, जिसमें अक्षय तृतीया के दिन गंगा जी प्रकट होती हैं। यहां महादेव के दर्शन के लिए भक्तों को इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि समुद्र केवल दोपहर 1 बजे से रात 10 बजे तक ही दर्शन की अनुमति देता है।

ज्वार बढ़ने पर शिवलिंग डूब जाता है और केवल मंदिर का पताका और स्तंभ ही नजर आता है। भक्तों को महादेव के दर्शन के लिए समुद्र में पैदल चलकर जाना होता है। यहां एक चबूतरे पर पांच शिवलिंग और एक छोटा तालाब है, जिसे पांडव तालाब कहते हैं। श्रद्धालु पहले इसी तालाब में आचमन करते हैं।

मान्यता है कि यदि भक्त किसी परिजन की चिता की राख को शिवलिंग पर लगाकर प्रवाहित करें, तो उन्हें मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यहां महादेव ने पांडवों को लिंग रूप में दर्शन दिए थे।

गुजरात में वडोदरा के पास एक और अद्भुत संसार है, स्तंभेश्वर महादेव मंदिर। भरूच जिले में स्थित यह मंदिर समुद्र की लहरों में गायब हो जाता है और कुछ समय बाद पुनः प्रकट होता है। यहां का शिवलिंग चार फुट ऊंचा है और इसे देखकर आप मंत्रमुग्ध रह जाएंगे।

मान्यता है कि यहां महादेव का जलाभिषेक करने के लिए सागर स्वयं उनके चरण स्पर्श कर अनुमति मांगता है। यह मंदिर दिन में दो बार जलमग्न हो जाता है और तब महादेव के दर्शन की अनुमति नहीं होती है।

पुराणों के अनुसार, यह मंदिर सतयुग का है और इसका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। शिव पुराण में भी इसका उल्लेख है। स्कंद पुराण के अनुसार, यह शिवलिंग महादेव के साथ से ही है और इसे भगवान कार्तिकेय ने स्थापित किया था।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि महादेव के मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि ये भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं। इन मंदिरों की अद्भुतता और मान्यता हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है।
NationPress
17/07/2025

Frequently Asked Questions

गंगेश्वर महादेव मंदिर कहां स्थित है?
गंगेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के फुदम गांव में स्थित है।
क्या यहां के शिवलिंग स्वयंभू हैं?
हाँ, इन पांच शिवलिंगों को स्वयंभू माना जाता है।
महादेव के दर्शन के लिए कब जाना चाहिए?
दर्शनों के लिए भक्तों को समुद्र में दोपहर 1 बजे से रात 10 बजे तक जाना चाहिए।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता क्या है?
यह मंदिर समुद्र की लहरों में दो बार जलमग्न हो जाता है।
क्या यहां पूजा अर्चना की जा सकती है?
हाँ, श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना कर सकते हैं, लेकिन समुद्र की लहरों के समय का ध्यान रखना होगा।