क्या जितेंद्र आव्हाड को निशाना बनाकर हमला करने की कोशिश की गई?

सारांश
Key Takeaways
- विधान भवन में हुई झड़प ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
- राजनीतिक दलों को आपस में संवाद और मध्यस्थता की कोशिश करनी चाहिए।
- कानून का पालन करना सभी के लिए आवश्यक है।
मुंबई, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में भाजपा विधायक गोपीचंद और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के विधायक के समर्थकों के बीच संघर्ष हुआ। दोनों गुटों के बीच जमकर मारपीट हुई। महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं।
एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष के विधायक के समर्थकों और हमारे कार्यकर्ताओं के बीच पहले बहस हुई और फिर झड़प हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के विधायक अपने साथ 4-5 गुंडों को लेकर विधान भवन में आए थे। उन लोगों ने जितेंद्र आव्हाड को निशाना बनाकर हमला करने की कोशिश की। यह एक सुनियोजित हमला था, उन्हें पहले से ही मैसेज के जरिए धमकी दी जा चुकी थी। नितिन देशमुख और आव्हाड के कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर उन्हें बचाया। जब विधायक ही विधान भवन में सुरक्षित नहीं हैं, तो बाकी किसी की सुरक्षा की क्या गारंटी है?
वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि विधान भवन परिसर में जितेंद्र आव्हाड और गोपीचंद पडलकर के समर्थकों के बीच जो टकराव हुआ, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह न केवल विधि मंडल की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि उसके पवित्र परिसर के लिए भी अनुचित है।
उन्होंने बताया, "हमने जितेंद्र आव्हाड से बातचीत की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। गोपीचंद पडलकर से भी चर्चा हुई है और उन्होंने भी खेद जताते हुए माफी मांगी है। यह अच्छी बात है कि दोनों पक्षों ने शांति की पहल की है।"
उन्होंने आगे कहा, "विधि मंडल महाराष्ट्र की जनता के हितों की रक्षा के लिए काम करता है। सभी विधायकों को, चाहे वे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, इसकी मर्यादा का सम्मान करना चाहिए। यह पूरा परिवार महाराष्ट्र की लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रतीक है। हम सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं और इसके लिए पूरी सतर्कता बरती जाएगी।"
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबासाहेब दानवे ने कहा कि विधान भवन कैंपस में जो कुछ हुआ, वह बिल्कुल गलत था। कानून इसलिए बनाया जाता है, ताकि सभी उसका पालन करें, लेकिन दुर्भाग्य से उसी कानून को कुछ लोग तोड़ते हैं। इस घटना में जो लोग भी शामिल हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। मेरे अनुसार, इस पूरे मामले में गोपीचंद पडलकर के समर्थक शामिल थे, जिनके खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज है। जो लोग कानून का सम्मान नहीं करते, वही इस तरह की हरकतें करते हैं।
महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने कहा कि विधान भवन में ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए। जो आपस में लड़ रहे थे, वो आपस में मिलकर समझ लें। समर्थकों को हाउस के बाहर नारे लगाने चाहिए। ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए सख्त नियम बनाने के लिए स्पीकर से बात करेंगे।