क्या महात्मा गांधी के परपोते नागपुर से सेवाग्राम तक 'संविधान सत्याग्रह यात्रा' निकालेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- संविधान सत्याग्रह यात्रा का उद्देश्य लोकतंत्र की मजबूती है।
- तुषार गांधी ने नफरत की राजनीति के खिलाफ आवाज उठाई है।
- यात्रा २ अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर संपन्न होगी।
- यह यात्रा वोट चोरी जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
- एक विशेष गाना यात्रा के लिए तैयार किया गया है।
नागपुर, १ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महात्मा गांधी के परपोते और गांधी फाउंडेशन के प्रबंध ट्रस्टी तुषार गांधी ने नागपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस वर्ष २ अक्टूबर को गांधी जयंती और दशहरा एकसाथ मनाए जाएंगे। इसके तहत वे २८ सितंबर को नागपुर में एक सार्वजनिक रैली आयोजित करेंगे और २९ सितंबर की सुबह दीक्षाभूमि से पदयात्रा आरंभ करते हुए २ अक्टूबर को सेवाग्राम में यात्रा का समापन करेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद राष्ट्र प्रेस से बातचीत में तुषार गांधी ने कहा, "२ अक्टूबर को गांधी जयंती के साथ-साथ दशहरा का भी उत्सव है। इस अवसर पर आरएसएस अपने स्थापना दिवस को जोरशोर से मनाएगा। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि २८ सितंबर को नागपुर में एक पब्लिक रैली करेंगे और उसके बाद २ अक्टूबर को सेवाग्राम में यात्रा का समापन करेंगे। इस यात्रा का नाम 'संविधान सत्याग्रह यात्रा' है, जिसमें हम संविधानिक लोकतंत्र की बात करेंगे, नफरत की राजनीति के खिलाफ आवाज उठाएंगे और अन्याय एवं अस्मिता के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यात्रा के लिए एक विशेष गाना भी तैयार किया गया है।
उन्होंने वोट चोरी के मुद्दे पर कहा, "चुनाव आयोग की विश्वसनीयता लगातार कमजोर हो रही है। आरोपों के प्रति उनका रवैया और अधिक अविश्वसनीय होता जा रहा है। पारदर्शिता की कमी के कारण यह एक गंभीर समस्या बन गई है।"
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री द्वारा गांधीवादी संगठनों पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री का यह गैर जिम्मेदाराना बयान है। इससे गांधीवादियों के प्रति एक टारगेट बन रहा है। यह दर्शाता है कि आज भी वे गांधीवादी विचारों से कितने डरे हुए हैं।"
बिहार विधानसभा चुनाव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "बिहार में परिवर्तन की एक उम्मीद है। लेकिन वोट चोरी का मुद्दा लोगों के बीच गंभीरता से जुड़ रहा है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।"
मराठा आरक्षण पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "मैं मुंबई से आया हूं। जरांगे के मोर्चे से मुंबई के लोगों को परेशानी हो रही है। इस तरह के आंदोलनों से निश्चित रूप से तकलीफ होती है।"
जब तुषार गांधी से पूछा गया कि क्या मराठा ओबीसी का मुद्दा महाराष्ट्र में बढ़ेगा, तो उन्होंने कहा, "इस समस्या का समाधान करना आवश्यक है। यदि सरकार इसे नहीं सुलझाती है, तो जन आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।"