क्या मजहब के नाम पर सियासत करनी चाहिए? इल्तिजा मुफ्ती पर भाजपा प्रवक्ता मंजूर भट्ट का बयान
सारांश
Key Takeaways
- मजहब के नाम पर राजनीति की संवेदनशीलता
- भारत की एकता और भाईचारे का महत्व
- सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व
श्रीनगर, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर की पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने ओडिशा के सांबलपुर जिले में बंगाली मुस्लिम प्रवासी मजदूर जुएल शेख की हत्या को लेकर लिखा, "ना इंडिया, ना भारत और ना ही हिंदुस्तान, यह है लिंचिस्तान।" इस पोस्ट ने एक नया राजनीतिक विवाद उत्पन्न कर दिया है।
भाजपा प्रवक्ता मंजूर भट्ट ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इल्तिजा को पहले यह समझना चाहिए कि हमारे देश का नाम भारत है और यह पूरे देश में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि यदि आप राजनीति करना चाहती हैं, तो यह मजहब के नाम पर नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए होना चाहिए। उनका कहना था कि जब आप राजनीति करते हैं, तो आप केवल किसी एक मजहब का प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं, चाहे वे हिंदू हों, सिख हों या मुसलमान।
भट्ट ने आगे कहा कि यदि इल्तिजा मजहब के नाम पर राजनीति करना चाहती हैं, तो पहले बांग्लादेश में जो हिंदू भाई-बहन लिंचिंग का शिकार हो रहे हैं, उस पर आवाज उठाना अधिक उचित होगा। उन्होंने भारत के गंगा-जमुनी तहज़ीब का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे देश में हिंदू-मुसलमान भाईचारे का माहौल लंबे समय से बना हुआ है और पूरी दुनिया इसे जानती है। ऐसे में मजहब के नाम पर राजनीति करना देश को बांटने जैसा है। इल्तिजा मुफ्ती जैसी नेताओं को अपने समुदाय तक सीमित रहने के बजाय पूरे देश की बहुलता और भाईचारे को ध्यान में रखकर राजनीति करनी चाहिए।
भट्ट ने यह भी कहा कि इस समय हमें अन्य देशों में सुरक्षा की आवश्यकता रखने वाले हमारे नागरिकों के मुद्दे पर बात करना आवश्यक है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन मुद्दों को उठाना चाहिए। किसी एक समुदाय के आधार पर देश को 'लिंचिस्तान' कहना सही नहीं है। उन्होंने इसे भारत की एकता और भाईचारे के खिलाफ बताया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस प्रकार की राजनीति देखकर काफी अफसोस है।