क्या मन मोहन सूरी ने परिवहन तकनीक में क्रांति लाने के लिए हाइड्रो-मैकेनिकल ट्रांसमिशन यूनिट का आविष्कार किया?

सारांश
Key Takeaways
- मन मोहन सूरी ने हाइड्रो-मैकेनिकल ट्रांसमिशन यूनिट का आविष्कार किया।
- उन्होंने डीजल इंजनों की दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- स्वराज ट्रैक्टर भारत का पहला स्वदेशी ट्रैक्टर है।
- उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए।
- उनका कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
नई दिल्ली, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत में हर साल 15 लाख इंजीनियर तैयार होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही होते हैं जो किसी नई तकनीक का आविष्कार कर पाते हैं। मन मोहन सूरी ऐसे ही इंजीनियर थे, जिन्हें हाइड्रो-मैकेनिकल ट्रांसमिशन यूनिट के लिए याद किया जाता है।
मन मोहन सूरी का जन्म 13 जनवरी 1928 को पंजाब में हुआ। वह एक कुशल मैकेनिकल इंजीनियर थे और उन्होंने सीएमईआरआई, दुर्गापुर में निदेशक के रूप में भी कार्य किया।
उनका कार्य उस समय के एक प्रशंसित वैज्ञानिक के रूप में पहचान दिलाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें सीएमईआरआई का निदेशक बनाया था।
उन्हें सूरी-ट्रांसमिशन, एक हाइड्रोमैकेनिकल ट्रांसमिशन यूनिट के लिए जाना जाता है, जिसने डीजल इंजनों की दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस तकनीक को ग्यारह देशों में 36 पेटेंट विनिर्देशों के लिए मान्यता प्राप्त है।
उन्होंने पंजाब ट्रैक्टर्स लिमिटेड के स्वराज फार्म ट्रैक्टर की अवधारणा में भी योगदान दिया, जो भारत का पहला स्वदेशी ट्रैक्टर है, जिसे 1965 में पेश किया गया।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने रेलवे ट्रक व्हील असेंबली के विकास के लिए भी पेटेंट प्राप्त किया था।
उनके विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए, मन मोहन सूरी को 1961 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, 1962 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी प्राप्त हुआ, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पुरस्कार है।
उनका निधन 25 जुलाई 1981 को 53 वर्ष
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने उनके पूर्व छात्रों द्वारा सर्वश्रेष्ठ यांत्रिक परियोजना को सम्मानित करने के लिए मन मोहन सूरी के नाम पर एक वार्षिक पुरस्कार योजना शुरू की है।