क्या एसआईआर प्रक्रिया के चलते बीएलओ की मौत पर मणिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया?

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क्या एसआईआर प्रक्रिया के चलते बीएलओ की मौत पर मणिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया?

सारांश

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव देकर बीएलओ की मौतों की राष्ट्रीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया ने मतदाता सूची की विश्वसनीयता को गंभीर संकट में डाल दिया है। क्या यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरा है?

Key Takeaways

  • मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर संकट।
  • बीएलओ की मौतें और आत्महत्याएं चिंता का विषय।
  • एसआईआर प्रक्रिया ने स्थिति को और बिगाड़ा।
  • चुनाव आयोग का पारदर्शिता का अभाव।
  • संकट का समाधान आवश्यक है।

नई दिल्ली, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने देश में मतदाता सूची की विश्वसनीयता को लेकर उठे गंभीर संकट का मुद्दा उठाते हुए लोकसभा के शीतकालीन सत्र में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उनका कहना है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था आज एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रही है और चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया ने स्थिति को और भी बिगाड़ दिया है।

टैगोर ने अपने प्रस्ताव में कहा कि देश की मतदाता सूची (जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की रीढ़ मानी जाती है) आज गड़बड़ियों, मानवीय त्रुटियों और सुरक्षा कमजोरियों से जूझ रही है, लेकिन इन खामियों को सुधारने के बजाय चुनाव आयोग ने एसआईआर को एक जल्दबाजी, बिना योजना और तानाशाहीपूर्ण तरीके से लागू किया है, जिससे पूरे देश में अफरा-तफरी मच गई है।

सांसद टैगोर ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने न तो शिक्षकों से कोई चर्चा की, न राज्यों से समन्वय किया और न ही पर्याप्त मानव संसाधन की व्यवस्था की है।

उन्होंने यह भी कहा कि बीएलओ पर अत्यधिक बोझ डाल दिया गया है। उन्हें नियमित शैक्षणिक कार्यों के साथ लगातार चुनावी सत्यापन के काम में झोंक दिया गया है।

उन्होंने दावा किया कि कई बीएलओ थकावट से बेहोश हो गए, कुछ की मौत हो गई और कुछ ने आत्महत्या तक कर ली। इसके बावजूद चुनाव आयोग न तो कोई आंकड़ा जारी कर रहा है, न जांच बैठा रहा है और न ही इन मौतों को स्वीकार कर रहा है।

टैगोर ने कहा कि आम जनता भी भारी असुविधा झेल रही है। बार-बार सत्यापन, उलझन भरे निर्देश और नामों में मनमानी कटौती जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। एसआईआर प्रक्रिया जन विरोधी, शिक्षक विरोधी और लोकतंत्र विरोधी बन गई है।

उन्होंने सदन को याद दिलाया कि वर्ष २०२३ में संसद ने मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, २०२३ पर चर्चा की थी।

टैगोर ने लोकसभा अध्यक्ष से तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि देशभर में एसआईआर प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए। बीएलओ की मौत और आत्महत्याओं की राष्ट्रीय जांच हो। प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाए। मतदाता सूची प्रणाली का आधुनिकीकरण किया जाए और चुनाव आयोग को संसद के सामने बुलाकर इस संकट पर जवाबदेह बनाया जाए।

Point of View

बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी हिला सकता है। देश की मतदाता सूची की विश्वसनीयता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इस संकट का समाधान निकालना हमारी जिम्मेदारी है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

मणिकम टैगोर ने किस विषय पर स्थगन प्रस्ताव दिया?
उन्होंने मतदाता सूची की विश्वसनीयता के संकट पर स्थगन प्रस्ताव दिया।
बीएलओ की मौतों के पीछे क्या कारण हैं?
बीएलओ पर अत्यधिक बोझ और चुनावी सत्यापन के कार्यों का दबाव इसके पीछे मुख्य कारण हैं।
क्या चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
चुनाव आयोग ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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