क्या मनसे के विरोध प्रदर्शन पर उदय सामंत ने पुलिस की जिम्मेदारी बताई?

सारांश
Key Takeaways
- मराठी और हिंदी के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है।
- राज ठाकरे के समर्थकों द्वारा हमले की घटनाएं सामने आई हैं।
- उदय सामंत ने प्रशासन की जिम्मेदारी पर जोर दिया है।
- मनसे ने मुंबई में प्रदर्शन की अनुमति को लेकर सवाल उठाए हैं।
- राजनीतिक हलचलें इस मुद्दे के कारण तेज हो गई हैं।
मुंबई, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा के बीच विवाद तेजी से बढ़ रहा है। राज ठाकरे के समर्थकों द्वारा गैर-मराठी भाषियों पर हमले के बीच, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने मंगलवार को एक विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय सामंत ने कहा कि विरोध प्रदर्शन की अनुमति देना पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है।
उदय सामंत ने मनसे के विरोध प्रदर्शन के बारे में मीडिया को बताया, "यह प्रशासन का मामला है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में यदि कोई विरोध प्रदर्शन कर रहा है, तो उसे अनुमति देना या न देना पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है। मुझे पूरा विश्वास है कि पुलिस प्रशासन इस मामले में कोई अन्याय नहीं करेगा।"
कुणाल कामरा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी होने पर, उन्होंने कहा, "हमारे पास एक हस्तक्षेप समिति है, जो विधानसभा के नियमों और विनियमों के अनुसार काम करती है। हमें उनके काम में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर कुणाल कामरा ने कुछ किया है और उन्हें नोटिस जारी किया गया है, तो यह उनका मामला है।"
गौरतलब है कि मनसे ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उन्हें मुंबई में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में गरमी आ गई है।
इस बीच, मनसे के कई कार्यकर्ताओं को मंगलवार को ठाणे के मीरा रोड पर हिरासत में लिया गया है। वे मुंबई के 'थप्पड़ कांड' के विरोध में मार्च निकाल रहे थे। इस कांड में मनसे कार्यकर्ताओं ने एक फूड स्टॉल मालिक पर हमले किया था क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था। शनिवार को मुंबई के वर्ली में स्थित शेयर बाजार निवेशक के कार्यालय पर भी हमला किया गया था। निवेशक ने सार्वजनिक रूप से मराठी बोलने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की थी।