क्या छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण के सरकारी प्रस्ताव पर नाराजगी जताई?

सारांश
Key Takeaways
- छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण पर नाराजगी व्यक्त की।
- वह ओबीसी के अधिकारों के लिए कोर्ट जाने के लिए तैयार हैं।
- भ्रम की स्थिति से ओबीसी समाज चिंतित है।
- उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की।
- कानूनी पहलुओं पर गंभीरता से विचार चल रहा है।
मुंबई, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण से संबंधित सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के जारी होने के बाद, राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री और ओबीसी के प्रमुख नेता छगन भुजबल ने अपनी ही सरकार के निर्णय पर नाराजगी
उन्होंने कैबिनेट बैठक में भाग नहीं लिया और कहा कि यदि ओबीसी के साथ अन्याय हुआ, तो वह जीआर के खिलाफ कोर्ट का रुख करेंगे।
छगन भुजबल ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट कहा, "मराठा समुदाय के लिए जो जीआर जारी किया गया है, उसमें कुछ शब्द ऐसे हैं जो भ्रम उत्पन्न कर रहे हैं। इन्हीं शब्दों के विभिन्न अर्थ निकाले जा रहे हैं और राज्य भर में ओबीसी समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, कहीं जीआर फाड़ा जा रहा है, कहीं मोर्चा निकाला जा रहा है, तो कहीं अनशन किया जा रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे ओबीसी संगठन, कार्यकर्ता और नेता इस जीआर से चिंतित हैं। खासकर कुणबी समुदाय के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है। उन्हें लग रहा है कि ओबीसी के अधिकारों में कटौती हो रही है। ऐसे में हमने वकीलों से चर्चा शुरू कर दी है।"
भुजबल ने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो हम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। उन्होंने बताया कि सभी दस्तावेज इकट्ठे किए जा रहे हैं और कानूनी पहलुओं पर गंभीरता से विचार हो रहा है।
छगन भुजबल ने आंदोलनरत ओबीसी समाज से अपील करते हुए कहा, "अभी गणपति उत्सव का समय है। मैं सभी से विनती करता हूं कि शांति बनाए रखें। जो भी भ्रम है, उस पर हम सरकार से चर्चा कर रहे हैं। अनशन और मोर्चा कुछ दिनों के लिए रोकें। हम जीआर को समझकर उचित फैसला लेंगे।"
जब भुजबल से पूछा गया कि वह कैबिनेट बैठक में क्यों नहीं गए, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, "वो तो आपको पता ही है।" इस एक लाइन से उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनकी नाराजगी गहरी है।