क्या नीतिगत समर्थन और आय बढ़ने के अनुमान से मार्केट आउटलुक सुधर रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय शेयर बाजार का आउटलुक तेजी से सकारात्मक हो रहा है।
- स्ट्रॉन्ग जीडीपी ग्रोथ और आय में सुधार की संभावनाएं हैं।
- छोटी अवधि में चुनौतियां बनी रह सकती हैं।
- इक्विटी के लिए माहौल धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है।
- वैश्विक व्यापार अनिश्चितताएं बाधाएं उत्पन्न कर सकती हैं।
मुंबई, ८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार का आउटलुक तेजी से सकारात्मक हो रहा है। इसका मुख्य कारण मजबूत जीडीपी ग्रोथ, आय में सुधार की उम्मीद और नीतिगत समर्थन है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
एसबीआई म्यूचुअल फंड्स द्वारा संकलित रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि छोटी अवधि में चुनौतियां बनी रहने की आशंका है, लेकिन इक्विटी के लिए माहौल धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है।
एसबीआई म्यूचुअल फंड्स के अनुसार, वित्त वर्ष २६ की पहली तिमाही में विकास दर ७.८ प्रतिशत और दूसरी तिमाही में ८.२ प्रतिशत रही है, जो कि अनुमान से अधिक है।
एसबीआई म्यूचुअल फंड्स के सीएफए (सीआईओ - फिक्स्ड इनकम) राजीव राधाकृष्णन और सीएफए (प्रमुख - एसआईएफ इक्विटी) गौरव मेहता द्वारा लिखित रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर में इक्विटी बाजारों में अच्छी बढ़त देखी गई, जिसमें निफ्टी २ प्रतिशत और सेंसेक्स २.२ प्रतिशत बढ़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान लार्जकैप ने मिडकैप और स्मॉलकैप से बेहतर प्रदर्शन किया है, जो बाजार में व्यापक तेजी के रुझान में कमी का संकेत देता है। बीएसई 500 इंडेक्स में दो-तिहाई शेयरों का प्रदर्शन १२ वर्ष के आधार पर बेंचमार्क से कम रहा है।
हाल के तिमाही में कॉरपोरेट आय कमजोर रही है, लेकिन यह व्यापक आधार पर उम्मीद के मुताबिक थी। इस दौरान मेटल, एनबीएफसी, कैपिटल गुड्स, सीमेंट और टेलीकॉम के मुनाफे में बढ़त देखी गई है। वहीं, निजी बैंक, ऑयल एंड गैस (ओएमसी को छोड़कर), ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर कंपनियां और इंश्योरेंस कंपनियों ने कमजोर नतीजे पेश किए।
एसबीआई म्यूचुअल फंड्स ने कहा कि आयकर और जीएसटी में कटौती, मुद्रास्फीति में कमी और नीतिगत दरों में कटौती का अपेक्षित प्रभाव उपभोक्ताओं तक पहुंचने के कारण उपभोक्ता धारणा में सुधार हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "नए श्रम संहिता जैसे संरचनात्मक सुधारों से भी विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।"
हालांकि, एसबीआई म्यूचुअल फंड्स ने चेतावनी दी है कि वैश्विक व्यापार अनिश्चितताएं और राजकोषीय दबाव अस्थायी रूप से बाधाएं पैदा कर सकते हैं।