क्या एसआईआर प्रक्रिया का मकसद लोकतांत्रिक पारदर्शिता को मजबूत करना है?: प्रवीण खंडेलवाल
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को सही करना है।
- यह लोकतांत्रिक पारदर्शिता को बढ़ाने में मदद करेगी।
- बिहार में पूर्व सर्वेक्षण से मिली जानकारी महत्वपूर्ण है।
- विपक्षी दलों के आरोपों का कोई औचित्य नहीं है।
- किसान और मजदूरों की उपलब्धता को ध्यान में रखना जरूरी है।
नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के १२ राज्यों में चल रहे मतदाता सूची के एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इसे लोकतंत्र को मजबूत करने वाला कदम बताया है।
भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह सर्वेक्षण पूरी तरह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को सही बनाना है।
उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि बिहार में जब सर्वेक्षण किया गया था, तब बड़ी संख्या में ऐसे नाम मतदाता सूची में पाए गए थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, कहीं और जा चुके थे या फिर भारत में अवैध रूप से रह रहे थे। ऐसे लोगों के नाम हटाना जरूरी है ताकि केवल पात्र मतदाता ही सूची में बने रहें। अगर अपात्र लोग मतदान करते हैं तो यह हमारे लोकतंत्र को कमजोर करता है।
खंडेलवाल ने कहा कि १२ राज्यों में यह एसआईआर प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद मतदाता सूची में केवल पात्र मतदाताओं के नाम रह जाएंगे। विपक्षी दल बिना वजह आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं, जिसका कोई औचित्य नहीं है। इस प्रक्रिया का मकसद लोकतांत्रिक पारदर्शिता को मजबूत करना है।
डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने एसआईआर चरण-२ प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सर्वेक्षण जल्दबाजी में किया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से कहा कि हमारे पास यह कहने के पर्याप्त कारण हैं कि बारिश के मौसम और लोगों की उपलब्धता जैसे कारकों के कारण यह प्रक्रिया फिलहाल स्थगित की जानी चाहिए।
इस समय किसान और बागान मजदूर खेतों में काम में व्यस्त हैं, कई लोग अपने घरों पर नहीं मिलते। ऐसे में जब अधिकारी खाली घरों का दौरा करते हैं तो सर्वेक्षण अधूरा रह जाता है।
एलंगोवन ने कहा कि इस प्रक्रिया की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है और इसे बाद में भी किया जा सकता है ताकि मतदाता सूची में किसी भी पात्र व्यक्ति का नाम छूटे नहीं।