क्या मौलाना मदनी वक्फ कानून पर कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट हैं? राहुल गांधी पर उनकी राय क्या है?

सारांश
Key Takeaways
- मौलाना मदनी ने वक्फ कानून पर असंतोष व्यक्त किया।
- वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया।
- राहुल गांधी के दौरे पर सवाल उठाए।
- राजनीति को वक्फ कानून से अलग रखने की बात की।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संतोषजनक नहीं माना।
नई दिल्ली, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। इस्लामी विचारक और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर अपनी असंतोष व्यक्त की। उन्होंने इस अधिनियम पर कई प्रश्न उठाए।
मौलाना महमूद मदनी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि संसद में वक्फ संशोधन अधिनियम पर बहस हो चुकी है। भाजपा के पास संख्या बल था और उन्होंने इसे आगे बढ़ाया। उनकी एक विशेष मंशा थी। जो वक्फ संपत्तियों को सुरक्षा प्रदान करता था, उसमें पहले के कानून में संशोधन की संभावना थी, जिसे नए कानून ने और सरल बना दिया है।
मदनी ने अदालत के निर्णय पर कहा, "वक्फ कानून के संबंध में लोगों को यह समझ में आ रहा है कि उन्हें कुछ अंतरिम राहत मिली है। इसमें कुछ बातें स्वीकार कर सकता हूं, लेकिन मेरे लिए यह निर्णय संतोषजनक नहीं है।"
बिहार चुनाव के मध्य वक्फ कानून पर राजनीति को लेकर मौलाना महमूद मदनी ने कहा, "नहीं, इसे चुनावी मुद्दा बनाना उचित नहीं है। इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं है।"
क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री बने तो मुसलमान सुरक्षित होंगे? इस प्रश्न पर मदनी ने कहा, "किसे पता क्या होगा, हमें कैसे पता चलेगा? जब होगा तब देखेंगे। अभी तो ऐसा कुछ नहीं है, कोई संकेत भी नहीं मिला है।"
राहुल गांधी के इमारत-ए-शरिया दौरे पर मदनी ने कहा, "मेरी राय में उन्हें न वहां जाना चाहिए था और न ही ऐसा करना चाहिए था। हालांकि, अब चुनाव आ गए हैं और वोट जुटाने हैं, इसलिए संभव है कि वह अन्य स्थानों पर भी जाएं।"
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी द्वारा राहुल गांधी की तारीफ पर मौलाना महमूद मदनी ने कहा, "मेरे विचार में राहुल गांधी को प्रशंसा की आवश्यकता नहीं है। वह कौन होते हैं यह तय करने वाले कि कौन जिम्मेदार है और कौन गैर-जिम्मेदार? न ही राहुल गांधी और न ही किसी अन्य नेता को पाकिस्तानी क्रिकेटर से तारीफ की जरूरत है।"