क्या मायावती ने यूपी के सभी मंडलों में मुस्लिम भाईचारा कमेटी बनाई?

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क्या मायावती ने यूपी के सभी मंडलों में मुस्लिम भाईचारा कमेटी बनाई?

सारांश

बाहरी आवरण में एक नई दिशा। मायावती ने मुस्लिम भाईचारा कमेटी का गठन किया है। यूपी में बसपा का जनाधार बढ़ाने की रणनीति को जानें।

Key Takeaways

  • मुस्लिम भाईचारा कमेटी का गठन
  • हर मंडल में दो सदस्यों की टीम
  • मुस्लिम समुदाय को पार्टी से जोड़ने का प्रयास
  • न्याय और सम्मान के लिए संविधान के आधार पर संघर्ष
  • मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने का निर्देश

लखनऊ, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को मुस्लिम भाईचारा संगठन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। बसपा प्रमुख ने हर मंडल में दो-दो सदस्यों की मुस्लिम भाईचारा कमेटी की स्थापना की है, जो मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर छोटी-छोटी बैठकें आयोजित करेंगे। इनका उद्देश्य मुस्लिम समाज को पार्टी से जोड़कर सदस्य बनाना है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को पार्टी के जनाधार को मजबूती प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश के मंडल स्तर पर 'मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन' की विशेष बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में मुस्लिम समुदाय को बसपा से जोड़ने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के सभी 18 मंडलों में पार्टी के कार्यकर्ताओं के आधार पर 2-सदस्यीय मुस्लिम भाईचारा संगठन का गठन किया है। यह संगठन मुस्लिम समाज में जाकर उनकी छोटी-छोटी बैठकों के माध्यम से बसपा से उन्हें जोड़ने के साथ-साथ उन्हें पार्टी का सदस्य बनाने में सक्रिय रहेगा।

मायावती ने कहा कि बसपा जाति और धार्मिक भेदभाव के बिना, उन लोगों के बीच भाईचारे के आधार पर उन्हें एकजुट करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो समाज में तोड़े और सताए जा रहे हैं। सभी के जानमाल और धर्म की सुरक्षा, रोजी-रोटी के साथ-साथ सम्मान के साथ जीने का संवैधानिक हक मिलना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समाज की एकजुटता के साथ, सपा और कांग्रेस के बजाय बसपा को समर्थन देना आवश्यक है ताकि भाजपा की घातक राजनीति को चुनाव में हराया जा सके। मुस्लिम समुदाय के एकतरफा समर्थन के बावजूद सपा-भाजपा को हराने में विफलता का यह चुनावी अनुभव है।

मायावती ने कहा कि बसपा ही एक ऐसी पार्टी है जो संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर के आदर्शों के अनुरूप, समाज के सभी वंचित वर्गों—दलित, आदिवासी, पिछड़े, मुस्लिम, और अन्य अल्पसंख्यकों—के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए संघर्षरत है।

उन्होंने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे गांव-गांव जाकर मुस्लिम समाज के बीच पार्टी की नीतियों को समझाएं और बताएं कि बीएसपी ही एक ऐसी राजनीतिक ताकत है जो सभी को समान अवसर और सम्मान देने की गारंटी देती है। बैठक में यह भी तय किया गया कि सभी जिलाध्यक्ष, मंडल प्रभारी और संगठन के पदाधिकारी आगामी विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) में सक्रिय भागीदारी करें।

मायावती ने निर्देश दिया कि प्रत्येक समर्थक का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराया जाए ताकि कोई भी पात्र मतदाता मतदान से वंचित न रहे।

उन्होंने कहा कि बीएसपी का लक्ष्य सत्ता प्राप्त कर समाज में 'कानून द्वारा कानून का राज' स्थापित करना है, जिससे हर वर्ग को न्याय, सुरक्षा, रोजगार और खुशहाल जीवन प्राप्त हो सके। बीएसपी का संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक समाज के हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान नहीं मिल जाता।

Point of View

मायावती का यह कदम यूपी में बसपा के जनाधार को बढ़ाने का एक रणनीतिक प्रयास है। मुस्लिम समुदाय को एकजुट करने के लिए उनकी पहल महत्वपूर्ण है, खासकर जब राजनीतिक परिदृश्य में सपा और भाजपा की चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

मुस्लिम भाईचारा कमेटी का उद्देश्य क्या है?
इस कमेटी का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को बसपा से जोड़ना और पार्टी के सदस्य बनाना है।
मायावती ने कितनी मंडलों में कमेटी बनाई है?
मायावती ने उत्तर प्रदेश के सभी 18 मंडलों में यह कमेटी बनाई है।
क्या यह कमेटी केवल चुनावी रणनीति है?
यह कमेटी मुस्लिम समाज के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने और उन्हें पार्टी से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बसपा का लक्ष्य क्या है?
बसपा का लक्ष्य समाज में 'कानून द्वारा कानून का राज' स्थापित करना है।
मायावती ने कार्यकर्ताओं को क्या निर्देश दिए हैं?
उन्होंने कार्यकर्ताओं को गांव-गांव जाकर पार्टी की नीतियों को समझाने और मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए कहा है।