क्या मोतीबाग गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार पूरा हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- जीर्णोद्धार से धार्मिक स्थलों का महत्व बढ़ता है।
- सिख संगत का योगदान महत्वपूर्ण है।
- ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण आवश्यक है।
- धार्मिक आयोजनों का आयोजन संगत को एकत्र करता है।
- सामुदायिक सहयोग से बड़े कार्य संभव होते हैं।
नई दिल्ली, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के मोती बाग गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार संपन्न होने के बाद रविवार को इसे संगत को सौंप दिया गया। इस अवसर पर दिल्ली धर्म प्रचार कमेटी के अध्यक्ष जसप्रीत सिंह करमसर उपस्थित रहे।
मोती बाग गुरुद्वारा वह स्थान है जहां गुरु गोविंद सिंह जी के चरण पड़े थे, इसीलिए इसे एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा माना जाता है। रविवार को यहां संगत के लिए एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अरदास के बाद इस गुरुद्वारे को दिल्ली की सिख संगत के लिए फिर से खोला गया।
इस मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने मीडिया से कहा, "यह हमारे लिए और दिल्ली की संगत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि हमने इस गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण करने के बाद इसे सिख संगत को सौंप दिया है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस स्थान को सिख संगत की कृपा और बाबा बचन सिंह जी कर सेवा वालों की सहायता से पुनर्निर्मित किया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे विश्वास है कि अब लोग यहां और अधिक संख्या में आएंगे। इस गुरुद्वारे में गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस भी श्रद्धा से मनाया जाएगा।"
धर्म प्रचार कमेटी के अध्यक्ष जसप्रीत सिंह ने कार्यक्रम की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा करते हुए लिखा, "दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, पूज्य बाबा बचन सिंह जी कर सेवा वाले और संगत के सहयोग से, धन धन साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पवित्र चरणों से स्पर्शित गुरुद्वारा मोती बाग साहिब के मुख्य दरबार हॉल का भव्य जीर्णोद्धार किया गया। इसके पश्चात, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश हुआ, तत्पश्चात कीर्तन दरबार का आयोजन हुआ और अरदास के बाद इसे संगत को समर्पित किया गया।