क्या मुंबई की मीठी नदी से जुड़े घोटाले में दो ठेकेदार पकड़े गए हैं, 65 करोड़ का भ्रष्टाचार?
सारांश
Key Takeaways
- मीठी नदी से जुड़े भ्रष्टाचार का मामला गंभीर है।
- गिरफ्तार ठेकेदारों ने फर्जी समझौतों का सहारा लिया।
- नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से मामला और गहरा हुआ।
- प्रवर्तन निदेशालय ने 47 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज की।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज को जागरूक होना चाहिए।
मुंबई, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई की मीठी नदी से गाद निकालने में किए गए 65 करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले में मुंबई पुलिस ने दो और लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी मीठी नदी की सफाई में हुए भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है।
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए ठेकेदारों की पहचान सुनील उपाध्याय (54) और महेश पुरोहित (48) के रूप में हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों ठेकेदारों ने फर्जी समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के माध्यम से काम के ठेके हासिल किए थे। दोनों को एस्प्लेनेड कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ कोर्ट ने उन्हें 16 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। इस मामले में अब तक कुल 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
आरोप है कि ठेकेदारों ने मीठी नदी से निकली गाद को बाहर ले जाने के लिए भी फर्जी बिल बनाए और नगर निगम के अधिकारियों ने इन्हें मंजूरी दे दी।
पुलिस के अनुसार, दोनों ठेकेदारों पर बीएमसी अधिकारियों, बिचौलियों और अन्य के साथ मिलकर 2013 से 2023 के बीच डंपिंग ग्राउंड के फर्जी समझौता ज्ञापन तैयार करने का आरोप है। सुनील उपाध्याय एसएनबी इंफ्रास्ट्रक्चर में निदेशक हैं और महेश पुरोहित एमबी ब्रदर्स की फर्म में पार्टनर हैं।
मुंबई में मीठी नदी की सफाई हर साल मानसून सीजन से पहले की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण नदी है जो बारिश के मौसम में अपने भयावह रूप को दिखाती है। दरअसल, यह नदी शहर के बीच से बहती है और कचरे से पटी रहती है, जिससे इसकी सफाई के लिए समझौते किए जाते हैं।
इसी वर्ष अगस्त महीने में प्रवर्तन निदेशालय ने मीठी नदी डीसिल्टिंग घोटाले के सिलसिले में मुंबई में छापेमारी के दौरान 47 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति फ्रीज की थी। तब ईडी के मुंबई जोनल ऑफिस द्वारा 31 जुलाई को सर्च ऑपरेशन किया गया था और बीएमसी के ठेकेदारों और एक सिविक इंजीनियर से जुड़े आठ ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।
इस ऑपरेशन के तहत विभिन्न बैंक खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट और डीमैट खातों में रखी 47 करोड़ रुपये से अधिक की रकम फ्रीज कर दी गई थी।