क्या मुंबई में मराठी न बोलने पर व्यापारी की पिटाई हुई?

सारांश
Key Takeaways
- भाषा के आधार पर हिंसा अस्वीकार्य है।
- मराठी भाषा की पहचान और संस्कृति का हिस्सा है।
- राजनीतिक दलों को समाज में सहिष्णुता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
- कानून को अपने हाथ में लेने के बजाय पुलिस को सूचित करें।
- सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए।
मुंबई, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में 'हिंदी' विवाद के बीच एक व्यापारी की पिटाई का मामला सामने आया है, जिसके पीछे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं का हाथ बताया जा रहा है। इस घटना का एक वीडियो वायरल होने पर भारतीय जनता पार्टी ने घटना की कड़ी निंदा की है।
जानकारी के अनुसार, मीरा भायंदर इलाके में एक व्यापारी के साथ मनसे के कार्यकर्ताओं ने बहस की। वीडियो में देखा गया कि मनसे के कार्यकर्ता उस व्यापारी को मराठी बोलने के लिए बाध्य कर रहे थे। व्यापारी ने कहा कि उसे मराठी सीखनी पड़ेगी और सभी भाषाओं का उपयोग होना चाहिए। इस पर मनसे कार्यकर्ताओं ने दबंगई दिखाते हुए व्यापारी की पिटाई शुरू कर दी।
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री योगेश कदम ने कहा, "पिछले कुछ महीनों से हिंदी और मराठी भाषा को लेकर विवाद चल रहा है। कुछ लोग आगामी नगर निगम चुनावों के मद्देनजर इस मुद्दे को उठा रहे हैं। मैं कहूंगा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। हमारे राज्य में मराठी भाषा का उपयोग होना चाहिए। हमारी सरकार मराठी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी।
इस घटना पर भाजपा नेता नरेंद्र मेहता ने कहा, "मराठी गौरव है, लेकिन मानवता की सीमा को न भूलें!" उन्होंने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और महाराष्ट्र में मराठी भाषा हमारी पहचान का हिस्सा है। उन्होंने अपील की कि ये मुद्दे प्यार और समझ के साथ हल किए जाने चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा, "किसी व्यक्ति की भाषा के चयन के कारण मनसे कार्यकर्ताओं की ओर से की गई यह हिंसक घटना उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। मैं इस कृत्य की कड़ी निंदा करता हूं और संबंधित एजेंसियों को कार्रवाई करने की सलाह देता हूं।"