क्या मुंबई में फर्जी विधायक का पर्दाफाश हुआ है?

सारांश
Key Takeaways
- फर्जी विधायक बनने का प्रयास कानून का उल्लंघन है।
- सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग गंभीर अपराध है।
- पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी है।
- आवश्यक कार्रवाई से आम जनता का विश्वास बना रह सकता है।
- ऐसी घटनाएं प्रशासन की सजगता पर सवाल खड़ा करती हैं।
मुंबई, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई से एक सदोकचालक मामला सामने आया है, जहाँ एक व्यक्ति अपनी निजी गाड़ियों पर विधानसभा सदस्य और महाराष्ट्र शासन का स्टिकर लगाकर न केवल नकली विधायक बनकर घूम रहा था, बल्कि टोल छूट समेत कई सरकारी सुविधाओं का अनुचित लाभ भी ले रहा था। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
शिकायत मिलने के बाद वडाला टीटी पुलिस ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी की पहचान मानव व्यंकटेश मुन्नास्वामी के रूप में हुई है।
पुलिस के अनुसार, इस मामले में सेवानिवृत्त कर्मचारी और सामाजिक कार्यकर्ता बाबूराव गंगाराम सुलम (59) ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता में बताया कि आरोपी ने अपनी निजी कारों पर हरे रंग का गोल 'विधानसभा सदस्य' लोगो लगाया था, जिसके बीच में भारत सरकार का अशोक स्तंभ भी बना हुआ था। इतना ही नहीं, उसने अपनी गाड़ियों पर 'महाराष्ट्र शासन' लिखी विशेष नामपट्टी भी लगाई हुई थी, जो केवल अधिकृत सरकारी वाहनों को ही दी जाती है।
शिकायतकर्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि मानव व्यंकटेश किसी भी प्रकार का जनप्रतिनिधि नहीं है, न ही वह किसी शासकीय पद पर है। बावजूद इसके, वह जनता और प्रशासन के बीच खुद को लोकप्रतिनिधि के तौर पर प्रस्तुत करता है। यह कदम न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि शासकीय पदों और अधिकारों का दुरुपयोग कर सरकारी तंत्र को गुमराह करने की साजिश भी है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी ने इस फर्जीवाड़े का इस्तेमाल टोल छूट और अन्य शासकीय सुविधाएं हासिल करने के लिए किया।
वडाला टीटी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, शासकीय प्रतीक अधिनियम और मोटर वाहन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी के खिलाफ साक्ष्य जुटाया जा रहा है और जल्द गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।