क्या पूर्व सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ बनकर बुजुर्ग महिला का डिजिटल अरेस्ट किया गया? 3.71 करोड़ रुपए की ठगी
सारांश
Key Takeaways
- साइबर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं।
- संबंधित अधिकारियों से सत्यापन करना आवश्यक है।
- डिजिटल जानकारी का सुरक्षित उपयोग करें।
- पुलिस से तुरंत संपर्क करें यदि आप ठगी का शिकार होते हैं।
- साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें।
मुंबई, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई के अंधेरी पश्चिम क्षेत्र में निवास करने वाली 68 वर्षीय महिला को डिजिटल अरेस्ट करके साइबर ठगों ने उससे 3 करोड़ 71 लाख रुपए की ठगी की। इस घटना को अंजाम देने के लिए एक आरोपी ने अपनी पहचान पूर्व सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के रूप में प्रस्तुत की।
पीड़िता पिछले 26 वर्षों से अंधेरी पश्चिम के वीर देसाई रोड पर रह रही हैं। 18 अगस्त 2025 को उन्हें एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस से संबंधित बताया। इसके बाद विभिन्न मोबाइल नंबरों से उन्हें व्हाट्सएप वीडियो कॉल आने लगे।
महिला को बताया गया कि उनके आधार कार्ड का उपयोग कर मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही है। वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि महिला के आधार कार्ड का दुरुपयोग कर कैनरा बैंक में फर्जी खाता खोला गया है, जिसमें 6 करोड़ रुपए के अवैध लेन-देन हुए हैं।
आरोपियों ने कहा कि इस मामले में महिला के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है और उनकी गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है।
जब महिला ने कहा कि उनका केनरा बैंक में कोई खाता नहीं है, तो आरोपियों ने एक फर्जी केस नंबर, नकली एफआईआर और पुलिस-सीबीआई के लोगो वाले दस्तावेज भेजे। साथ ही, परिवार को भी गिरफ्तार करने की धमकी दी गई और किसी से बात न करने के लिए कहा गया।
ठगों ने महिला को 24 घंटे निगरानी में रखने की बात कही और बताया कि केस की सुनवाई जारी है। कुछ समय बाद एक व्यक्ति वीडियो कॉल पर खुद को रिटायर्ड सीजेआई चंद्रचूड़ बताकर पेश हुआ। महिला से सवाल-जवाब किए गए और कहा गया कि जमानत नामंजूर है।
इसके बाद आरोपियों ने कहा कि लीगल साबित करने के लिए सभी रकम वेरिफिकेशन के लिए जमा करनी होगी। महिला को म्यूचुअल फंड रिडीम करने और आरटीजीएस के माध्यम से अलग-अलग खातों में पैसे भेजने के निर्देश दिए गए।
डर और दबाव में आकर महिला ने अपने IDFC बैंक खातों से चार अलग-अलग ट्रांजैक्शन में कुल 3 करोड़ 71 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। पैसे मिलने के बाद ठगों ने कॉल काट दिया और बाद में फिर से पैसे मांगने लगे, तब महिला को ठगी का एहसास हुआ।
पीड़िता ने सभी चैट्स, कॉल डिटेल्स, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड और बैंक स्टेटमेंट के साथ साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने 1930 साइबर हेल्पलाइन पर भी शिकायत की।
वर्तमान में पुलिस इस पूरे मामले को डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड मानते हुए जांच कर रही है। आरोपियों ने अलग-अलग मोबाइल नंबरों से संपर्क कर खुद को पुलिस, सीबीआई अधिकारी और जज बताकर महिला को मानसिक दबाव में लिया और करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया।