क्या मुंबई में विधान भवन की सीढ़ियों पर सत्ताधारी दल ने छत्रपति शिवाजी महाराज को सम्मानित किया?

सारांश
Key Takeaways
- छत्रपति शिवाजी महाराज का योगदान अद्वितीय है।
- यूनेस्को द्वारा 12 किलों को विश्व धरोहर का दर्जा मिला।
- इस आयोजन का उद्देश्य मराठा गौरव को सम्मानित करना था।
- शिवाजी महाराज की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं।
- सत्ताधारी दलों ने समाज में एकता का संदेश दिया।
मुंबई, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सोमवार को महाराष्ट्र विधान भवन की सीढ़ियों पर सत्ताधारी दलों के प्रमुखों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पोस्टर थामे हुए थे। इस अवसर पर 'जय भवानी, जय शिवाजी' के नारे गूंज रहे थे। यह आयोजन यूनेस्को द्वारा शिवाजी महाराज के 12 किलों को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिए जाने के उपलक्ष्य में मनाया गया।
सूत्रों के अनुसार, यह कार्यक्रम छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों, उनके योगदान और मराठा गौरव को समर्पित था। विधान भवन के परिसर में नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ ने शिवाजी महाराज की विरासत को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
सत्ताधारी दल के नेताओं ने इस आयोजन के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य के सिद्धांतों और मराठा साम्राज्य की स्थापना में उनके योगदान को उजागर किया। नेताओं ने बताया कि शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि उन्होंने स्वशासन, न्याय और समृद्धि की आधारशिला रखी। उनके नेतृत्व में मराठा साम्राज्य ने न केवल युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि सामाजिक समानता और आर्थिक मजबूती को भी बढ़ावा दिया।
नेताओं ने कहा कि शिवाजी महाराज की शिक्षाएं आज भी महाराष्ट्र के विकास और एकता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यूनेस्को द्वारा शिवाजी महाराज के 12 किलों को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिए जाने को नेताओं ने महाराष्ट्र के लिए गर्व का विषय बताया।
विधायकों ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक ऐतिहासिक शख्सियत नहीं हैं, बल्कि वे मराठा स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं। उनके किले स्वराज्य की शक्ति के प्रतीक हैं, और हमें उनकी शिक्षाओं को अपनाकर महाराष्ट्र को और मजबूत करना है।
यह प्रदर्शन विधान भवन की सीढ़ियों पर होने के कारण विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा था। कार्यकर्ताओं और नेताओं ने एक स्वर में नारे लगाकर शिवाजी महाराज के प्रति अपनी निष्ठा और सम्मान प्रकट किया।