क्या मुसलमान सीना ठोककर कहते हैं कि हमारे 10 भी हैं, 12 भी हैं?: मौलाना साजिद रशीदी

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क्या मुसलमान सीना ठोककर कहते हैं कि हमारे 10 भी हैं, 12 भी हैं?: मौलाना साजिद रशीदी

सारांश

मौलाना साजिद रशीदी ने भाजपा नेता नवनीत राणा के विवादास्पद बयान पर विचार करते हुए मुसलमानों की संख्या और उनके अधिकारों की बात की है। क्या यह बहुविवाह और बच्चों की संख्या पर नई बहस की शुरुआत है? जानें, इस महत्वपूर्ण विषय पर उनका दृष्टिकोण।

Key Takeaways

  • मुसलमानों की संख्या पर गर्व
  • संवैधानिक अधिकार का सम्मान
  • धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता
  • नफरत नहीं फैलाना चाहिए
  • समाज में सहिष्णुता का महत्व

नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा नेता नवनीत राणा द्वारा हिन्दुओं को चार बच्चे पैदा करने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने कहा कि मुसलमान सीना ठोककर कहते हैं-हमारे १० भी हैं, १२ भी हैं।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, "हम हमेशा अपने मार्ग पर चल रहे हैं। इस्लाम में बहुविवाह की अनुमति नहीं है। किसी बच्चे को इस सोच से मारना कि 'मैं इस बच्चे को खाना नहीं खिला पाऊंगा या पढ़ा नहीं पाऊंगा' सही नहीं है। समस्या हिंदुओं में है- कभी वे कहते हैं, 'हम दो, हमारे दो।' कभी वे कहते हैं, 'एक ही बच्चा अच्छा है।' कभी वे कहते हैं, 'आठ बच्चे पैदा करो' या 'चार बच्चे पैदा करो।' फिर वे नए-नए तर्क देते रहते हैं।

सवाल यह है कि यह संवैधानिक अधिकार सभी महिला-पुरुष को है कि वे कितने बच्चे पैदा करें या कितने बच्चे पैदा न करें। नफरत फैलाने वाली बात नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं मुसलमान को टारगेट करने वाली बात है। मुसलमान सीना ठोककर कहते हैं-हमारे १० भी हैं, १२ भी हैं, हम नहीं रोकते इन्हें, क्योंकि हमारे यहां इस्लाम में आस्था का मजहब है, इसे गुनाह समझते हैं।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान पर उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता तो थी, लेकिन ये लोग इसकी अलग-अलग तरह से व्याख्या कर रहे हैं। धर्मनिरपेक्षता का मतलब है कि कोई भी सरकार किसी एक खास धर्म के लिए काम नहीं कर सकती। यहां जो हो रहा है, वह यह है कि अपनी-अपनी तरह से इसकी व्याख्या करके राज्य और केंद्र सरकार दोनों धर्म के नाम पर काम कर रही हैं। यह एक गंभीर समस्या है। सेक्युलर का मतलब है कि सभी धर्मों को बराबर का हक है।

सवाल यह है कि पीएम मोदी मंदिर का उद्घाटन करने जाएं- इस तरह के काम सरकारों को नहीं करने चाहिए। यही धर्मनिरपेक्षता है। जो लोग हिंदू राष्ट्र के तौर पर देखते हैं, यह नहीं हो सकता। जो लोग संविधान को खत्म करने की बात करते हैं, वे चाहते हैं कि नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों जैसा हाल हो जाए। हम बंटवारे का दर्द आज तक नहीं भूले हैं, लेकिन रोजाना इस तरह के बयान देते हैं। मुसलमान शांत हैं; अगर मुसलमान भी खड़े हो जाएं तो स्थिति काफी खराब हो जाएगी।

मौलाना ने कहा कि गिरिराज सिंह बयानों के लिए जाने जाते हैं; उनके बयान को गंभीरता से कोई नहीं लेता है।

Point of View

मौलाना साजिद रशीदी का यह बयान एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर प्रकाश डालता है। यह न केवल धार्मिक सहिष्णुता की आवश्यकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे राजनीतिक बयानों का सामाजिक ताना-बाना पर असर पड़ता है। हर नागरिक को अपने संवैधानिक अधिकार का सम्मान करना चाहिए और नफरत के बजाय एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

मौलाना साजिद रशीदी का मुख्य संदेश क्या है?
उनका संदेश है कि हर व्यक्ति को अपने संवैधानिक अधिकार के तहत कितने बच्चे पैदा करने का अधिकार है, और नफरत फैलाने वाली बातें उचित नहीं हैं।
क्या इस्लाम में बहुविवाह की अनुमति है?
मौलाना ने कहा कि इस्लाम में बहुविवाह की अनुमति नहीं है।
क्या मौलाना ने अन्य धर्मों के बारे में कुछ कहा है?
हाँ, उन्होंने हिंदुओं के बीच बच्चों की संख्या को लेकर विभिन्न विचारों पर टिप्पणी की है।
धर्मनिरपेक्षता का मौलाना के अनुसार क्या अर्थ है?
धर्मनिरपेक्षता का मतलब है कि कोई भी सरकार किसी विशेष धर्म के लिए काम नहीं कर सकती।
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