क्या मुजफ्फरनगर की जनपद जाट महासभा विवादों में घिरी है?

सारांश
Key Takeaways
- जनपद जाट महासभा विवाद में रजिस्ट्रार का निर्णय महत्वपूर्ण है।
- संगठन के भीतर के टकराव को सुलझाना आवश्यक है।
- समाज के जिम्मेदार लोगों की भूमिका अहम हो सकती है।
- कानूनी मुद्दों को हल करने की जरूरत है।
- प्रशासन को सक्रियता से कदम उठाने चाहिए।
मुजफ्फरनगर, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में जनपद जाट महासभा में लंबे समय से चल रही खींचतान का अंत यह हुआ कि रजिस्ट्रार सहारनपुर ने संस्था को कालातीत घोषित कर दिया है। इसके बावजूद, संगठन के पदाधिकारियों के बीच टकराव जारी है।
जनपद जाट महासभा के निवर्तमान जिला अध्यक्ष धर्मवीर बालियान ने जिला अधिकारी कार्यालय में जाकर एक शिकायती पत्र पेश किया। उन्होंने मांग की कि चूंकि महासभा का चुनाव नहीं हो पाया है, इसे कालातीत घोषित किया गया है। इस स्थिति में कुछ लोग महासभा के नाम पर कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं, जो कानूनी रूप से गलत है।
वास्तव में, जनपद जाट महासभा में पिछले कुछ समय से सदस्यों के बीच आपसी खींचतान चल रही है। पूर्व जिला अध्यक्ष जगदीश बालियान का विरोध संस्था के ही कुछ सदस्यों ने किया, जिसके बाद धर्मवीर बालियान को नया जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
समाज के जिम्मेदार लोगों के बीच-बचाव करने पर धर्मवीर बालियान के समर्थक सहमति बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं, लेकिन जगदीश बालियान का पक्ष अपनी मनमानी पर अड़ा है। धर्मवीर बालियान ने कहा कि महासभा कालातीत हो चुकी है, और यदि 14 सितंबर को कार्यक्रम आयोजित किया गया तो संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होगी।
पीआईएम/डीएससी