क्या चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी साहित्य के ध्रुव तारे हैं?

Click to start listening
क्या चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी साहित्य के ध्रुव तारे हैं?

सारांश

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी, हिंदी साहित्य के एक अद्वितीय नाम, अपनी रचनाओं से समाज को आईना दिखाते हैं। आइए जानते हैं उनके जीवन, कृतियों और साहित्यिक योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • गुलेरी का साहित्य समाज के लिए आईना है।
  • उनकी कहानी 'उसने कहा था' हिंदी की पहली आधुनिक कहानी है।
  • वे कई भाषाओं के ज्ञाता थे।
  • उनका साहित्यिक योगदान अद्वितीय है।
  • गुलेरी का जीवन प्रेरणादायक है।

नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी साहित्य के इतिहास में कुछ ऐसे प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं से समाज पर गहरी छाप छोड़ी है। चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का नाम इस संदर्भ में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। वे हिंदी साहित्य के ऐसे नक्षत्र हैं, जिनकी रचनाओं ने समाज को आईना दिखाने का कार्य किया।

'द्विवेदी युग' के इस साहित्यकार ने अपने संक्षिप्त जीवनकाल में ऐसी अमर कृतियां रचीं, जिन्होंने हिंदी कथा साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की। उनकी कहानी 'उसने कहा था' केवल एक रचना नहीं है, बल्कि यह प्रेम, त्याग और मानवीय संवेदनाओं का एक जीवंत चित्र है, जो समय की सीमाओं को पार कर आज भी प्रासंगिक बना हुआ है।

7 जुलाई 1883 को जयपुर में जन्मे गुलेरी का संबंध हिमाचल के कांगड़ा जिले के गुलेर गांव से है। उनके पिता पंडित शिवराम शास्त्री ज्योतिष के विख्यात विद्वान थे, जिन्हें जयपुर दरबार में मान्यता प्राप्त थी। इस विद्वतापूर्ण वातावरण में गुलेरी का बालमन संस्कृत, वेद और पुराणों की सुगंध से समृद्ध हुआ।

मात्र दस वर्ष की आयु में संस्कृत में उनका ओजस्वी भाषण विद्वानों के लिए आश्चर्य का विषय बन गया। जयपुर के महाराजा कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्णता हासिल की। संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच, लैटिन, मराठी और बंगाली जैसी भाषाओं में उनकी पकड़ ने उन्हें साहित्य का सच्चा साधक बनाया।

गुलेरी की लेखनी ने हिंदी साहित्य को कहानियां, निबंध, व्यंग्य और समीक्षाएं प्रदान कीं। उनकी कृति 'उसने कहा था' को हिंदी की प्रथम आधुनिक कहानी का गौरव प्राप्त है। यह रचना प्रेम और बलिदान की एक गाथा बुनती है, जो पाठक के अंतर्मन को झंकृत कर देती है।

'सुखमय जीवन' और 'बुद्धू का कांटा' जैसी रचनाएं उनकी कथाशैली और भाषा के महत्व को उजागर करती हैं। उनकी खड़ी बोली में तत्सम शब्दों का वैभव और लोकभाषा की मिठास का समन्वय देखने को मिलता है, जो पाठक से आत्मीय संवाद स्थापित करता है।

कहानीकार के साथ-साथ गुलेरी एक कुशल निबंधकार, समीक्षक और पत्रकार भी थे। 'समालोचक' पत्रिका के संपादन और नागरी प्रचारिणी सभा के कार्यों में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है।

उनके निबंध इतिहास, दर्शन, पुरातत्त्व और धर्म जैसे गंभीर विषयों पर उनकी गहन चिंतनशीलता को प्रकट करते हैं।

जयपुर की जंतर-मंतर वेधशाला के संरक्षण में भी उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही। दुर्भाग्यवश, 12 सितंबर 1922 को पीलिया ने मात्र 39 वर्ष की आयु में उन्हें हमसे छीन लिया, लेकिन उनकी रचनाएं और विचार साहित्य के सागर में मोती की भांति चमकते हैं।

Point of View

बल्कि यह समाज की संवेदनाओं को भी उजागर करता है। उनका जीवन और कृतियां आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं।
NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म कब हुआ?
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 7 जुलाई 1883 को हुआ था।
गुलेरी की प्रसिद्ध रचना कौन सी है?
उनकी प्रसिद्ध रचना 'उसने कहा था' है, जिसे हिंदी की पहली आधुनिक कहानी माना जाता है।
गुलेरी ने किन भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की?
उन्होंने संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच, लैटिन, मराठी और बंगाली जैसी भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की।
उनके पिता कौन थे?
उनके पिता का नाम पंडित शिवराम शास्त्री था, जो ज्योतिष के विख्यात विद्वान थे।
गुलेरी का निधन कब हुआ?
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का निधन 12 सितंबर 1922 को हुआ।