क्या बिहार चुनाव में रोहतास की ऐतिहासिक भूमि दिनारा का राजनीतिक उतार-चढ़ाव प्रमुख होगा?

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क्या बिहार चुनाव में रोहतास की ऐतिहासिक भूमि दिनारा का राजनीतिक उतार-चढ़ाव प्रमुख होगा?

सारांश

बिहार के रोहतास जिले का दिनारा विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यहां की जनसंख्या और समुदायों के मतदाता रुझान को समझना आवश्यक है। दिनारा का विकास भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जानिए इस क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति और विकास के मुद्दों के बारे में।

Key Takeaways

  • दिनारा विधानसभा का राजनीतिक महत्व
  • समुदायों के मतदाता रुझान
  • विकास की चुनौतियाँ
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का प्रभाव
  • भविष्य की चुनावी संभावनाएँ

पटना, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल में स्थित दिनारा विधानसभा का राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह विधानसभा क्षेत्र बक्सर लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक मानी जाती है। पूर्व में डेहरी-ऑन-सोन, पश्चिम में बक्सर जिला और दक्षिण में कैमूर जिले से घिरा यह क्षेत्र सोन नदी के किनारे बसा हुआ है।

दिनारा गंगा के मैदानी क्षेत्र में स्थित है और इसका नाम भोजपुरी शब्द दियारा से लिया गया है, जिसका अर्थ है- नदी की धारा के परिवर्तन से बनने वाला मौसमी टापू। ऐतिहासिक दृष्टि से, यह क्षेत्र मगध, मौर्य, गुप्त, पाल, शेरशाह सूरी और मुगल साम्राज्य का हिस्सा रह चुका है।

ब्रिटिश शासन के दौरान भी दिनारा का प्रशासनिक महत्व बना रहा। यहाँ की जनसंख्या मुख्यतः ग्रामीण है, जिसमें यादव, कुर्मी, कोइरी, दलित और भूमिहार प्रमुख समुदाय हैं। लगभग 45 प्रतिशत मतदाता ओबीसी वर्ग से हैं। यादव को राजद का पारंपरिक समर्थक माना जाता है, जबकि कुर्मी और कोइरी समुदाय का झुकाव भाजपा और जदयू की ओर रहता है।

इस क्षेत्र में भूमिहारों की संख्या करीब 25 प्रतिशत है, जो आमतौर पर भाजपा समर्थक होते हैं। वहीं, 20 प्रतिशत दलित मतदाता एनडीए के लिए निर्णायक साबित होते हैं। मुस्लिम मतदाता लगभग 6.8 प्रतिशत हैं, जो सामान्यतः महागठबंधन का समर्थन करते हैं।

दिनारा विधानसभा सीट की स्थापना 1951 में हुई थी। अब तक यहाँ 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने यहाँ 5 बार जीत हासिल की है, जबकि जदयू को 4 बार सफलता मिली है। इसके अलावा, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने 3 बार बाजी मारी है। जनता दल ने 2 बार, जबकि जनता पार्टी, बसपा और राजद ने 1-1 बार जीत हासिल की है। 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में राजद के विजय कुमार मंडल ने जीत दर्ज की थी।

राजनीतिक सक्रियता के बावजूद, दिनारा विकास के मामले में काफी पीछे है। यहाँ बुनियादी ढांचे की कमी सबसे बड़ी समस्या है। कई गांवों में आज भी बिजली और सड़कें पूरी तरह से नहीं पहुंची हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बेहद सीमित हैं। उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को सासाराम या पटना जाना पड़ता है। रोजगार के अभाव में बहुत से युवा हर साल पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में प्रवास करते हैं और खेतिहर मजदूर के रूप में काम करते हैं।

2024 में चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिनारा की कुल जनसंख्या 5,19,690 है, जिसमें 2,70,236 पुरुष और 2,49,454 महिलाएं शामिल हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 3,07,795 है, जिसमें 1,61,167 पुरुष और 1,46,625 महिलाएं शामिल हैं, साथ ही 3 थर्ड जेंडर भी हैं।

Point of View

जनसंख्या और समुदायों के मतदाता रुझान को समझना आवश्यक है। विकास के मुद्दे भी इस क्षेत्र के भविष्य को परिभाषित करेंगे। एक राष्ट्रीय संपादक के रूप में, यह आवश्यक है कि हम इस क्षेत्र के विकास और राजनीतिक स्थिरता को प्राथमिकता दें।
NationPress
01/11/2025

Frequently Asked Questions

दिनारा विधानसभा क्षेत्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
दिनारा क्षेत्र का इतिहास मगध, मौर्य, गुप्त, पाल, शेरशाह सूरी और मुगल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है।
दिनारा में प्रमुख समुदाय कौन से हैं?
दिनारा में यादव, कुर्मी, कोइरी, दलित और भूमिहार प्रमुख समुदाय हैं।
दिनारा की जनसंख्या कितनी है?
दिनारा की कुल जनसंख्या 5,19,690 है, जिसमें 2,70,236 पुरुष और 2,49,454 महिलाएं शामिल हैं।
दिनारा का विकास किस तरह प्रभावित हुआ है?
दिनारा में बुनियादी ढांचे की कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता विकास को प्रभावित कर रही है।
2020 के विधानसभा चुनाव में कौन जीते थे?
2020 में राजद के विजय कुमार मंडल ने दिनारा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी।