क्या डूरंड कप एशिया का सबसे पुराना और विश्व का तीसरा फुटबॉल टूर्नामेंट है?

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क्या डूरंड कप एशिया का सबसे पुराना और विश्व का तीसरा फुटबॉल टूर्नामेंट है?

सारांश

डूरंड कप, जो 1888 में शुरू हुआ, भारतीय फुटबॉल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल एशिया का सबसे पुराना टूर्नामेंट है, बल्कि फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा मंच भी प्रदान करता है, जहां से वे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकते हैं। जानें इस टूर्नामेंट के इतिहास और महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • डूरंड कप फुटबॉल का सबसे पुराना टूर्नामेंट है।
  • यह भारतीय फुटबॉल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इसमें भारतीय क्लब और सशस्त्र बलों की टीमें भाग लेती हैं।
  • मोहन बागान और ईस्ट बंगाल का इस टूर्नामेंट में दबदबा है।
  • यह खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह पाने का अवसर प्रदान करता है।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) द्वारा आयोजित डूरंड कप भारत में फुटबॉल से जुड़ा सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट माना जाता है। यह एशिया का सबसे पुराना और विश्व का तीसरा सबसे पुराना टूर्नामेंट है। डूरंड कप की शुरुआत 1888 में हेनरी मॉर्टिमर डूरंड द्वारा शिमला में की गई थी। उस समय भारत ब्रिटिश राज के अधीन था और इस कप का उद्देश्य अंग्रेज अधिकारियों के बीच फुटबॉल को बढ़ावा देना था।

1947 में भारत की आजादी के बाद डूरंड कप को बंद करने और इसे पाकिस्तान के टूर्नामेंट में बदलने का प्रयास किया गया था। हालांकि, तब के रक्षा सचिव एच.एम. पटेल के प्रयासों के चलते यह टूर्नामेंट भारत का बना रहा और आज यह भारतीय फुटबॉल का प्रतीक बन चुका है।

डूरंड कप भारतीय फुटबॉल सीजन की शुरुआत करता है। यह टूर्नामेंट आईएसएल और आई-लीग क्लबों की तैयारी का एक महत्वपूर्ण मंच है। 2019 से इसका आयोजन कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों में होता आ रहा है, क्योंकि इन क्षेत्रों में फुटबॉल का खासा क्रेज है। जबकि महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और दक्षिण के राज्य क्रिकेट में आगे हैं, फुटबॉल में कोलकाता और पूर्वोत्तर के राज्य प्रतिस्पर्धा में आगे हैं।

इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारतीय क्लब और सशस्त्र बलों की टीमें हिस्सा लेती हैं। पिछले सीजन में 24 टीमों ने भाग लिया। यह टूर्नामेंट ग्रुप स्टेज और नॉकआउट फॉर्मेट में खेला जाता है।

डूरंड कप में कोलकाता के दो क्लबों, मोहन बागान और ईस्ट बंगाल का दबदबा रहा है। मोहन बागान ने 17 बार, जबकि ईस्ट बंगाल ने 16 बार डूरंड कप का खिताब जीता है। 2025 का 134वां संस्करण 23 जुलाई से 23 अगस्त तक 24 टीमों के बीच कोलकाता, जमशेदपुर, शिलांग, कोकराझार और गुवाहाटी में खेला गया। फाइनल सॉल्ट लेक स्टेडियम, कोलकाता में हुआ, जिसमें नॉर्थईस्ट यूनाइटेड ने डायमंड हार्बर एफसी को 6-1 से हराकर खिताब हासिल किया।

डूरंड कप 2025 जीतने वाली नॉर्थईस्ट यूनाइटेड को 1.21 करोड़ का इनाम मिला था।

यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट उन खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा मंच है जो फुटबॉल के क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखते हैं। डूरंड कप में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह पाने का अवसर मिलता है।

Point of View

और डूरंड कप इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह टूर्नामेंट न केवल खिलाड़ियों को एक मंच प्रदान करता है, बल्कि यह भारतीय फुटबॉल के विकास में भी योगदान देता है। हमें चाहिए कि हम इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट को समर्थन दें और फुटबॉल के प्रति अपने जुनून को बढ़ावा दें।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

डूरंड कप कब शुरू हुआ था?
डूरंड कप की शुरुआत 1888 में हेनरी मॉर्टिमर डूरंड द्वारा की गई थी।
डूरंड कप में किन टीमों का भाग लेना अनिवार्य है?
इस टूर्नामेंट में भारतीय क्लब और सशस्त्र बलों की टीमें भाग लेती हैं।
डूरंड कप का आयोजन कहाँ किया जाता है?
डूरंड कप का आयोजन मुख्यतः कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों में किया जाता है।
डूरंड कप का महत्व क्या है?
यह टूर्नामेंट खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
डूरंड कप की सबसे सफल टीम कौन सी है?
मोहन बागान और ईस्ट बंगाल इस टूर्नामेंट की सबसे सफल टीमें हैं।
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