क्या नागा भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की पहल से शिक्षा में बदलाव आएगा?

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क्या नागा भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की पहल से शिक्षा में बदलाव आएगा?

सारांश

केंद्र सरकार ने नागा भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नया मास्टर ऑफ आर्ट्स पाठ्यक्रम शुरू किया है। यह पहल नागालैंड विश्वविद्यालय द्वारा की गई है, जो नागा समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Key Takeaways

  • नागा भाषा और संस्कृति का संरक्षण
  • अंतरविषयक दृष्टिकोण
  • समुदाय की नीतियों में योगदान
  • रोजगार के अवसरों में वृद्धि
  • 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना

नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें शिक्षा का हिस्सा बनाने के लिए प्रयासरत है। इसी दिशा में, नागा भाषा को प्रोत्साहित करने और नागा संस्कृति को शिक्षा के माध्यम से संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

पूर्वोत्तर स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में, नागा भाषा और संस्कृति में मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) का नया अंतरविषयक स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आरंभ किया गया है। यह पहल केंद्रीय विश्वविद्यालय, नगालैंड द्वारा शुरू की गई है। विश्वविद्यालय का मानना है कि यह कार्यक्रम नागा लोगों की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित, प्रोत्साहित और आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक समयोचित और महत्वपूर्ण कदम है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत, यह पाठ्यक्रम अंतरविषयक दृष्टिकोण को अपनाता है। शिक्षाविदों का मानना है कि इससे छात्र केवल एक विषय तक सीमित न रहकर विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर सकेंगे। इस कार्यक्रम के तहत स्नातक करने वाले छात्र तीन यूजीसी-नेट विषयों, जैसे कि भाषा विज्ञान, लोक साहित्य और जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने के लिए पात्र होंगे।

नए पाठ्यक्रम के पहले बैच की कक्षाएं 5 अगस्त 2025 से आरंभ होंगी, जिसमें प्रारंभ में कुल 20 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा।

केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जगदीश कुमार पटनायक ने कहा, “भाषा और संस्कृति में मास्टर ऑफ आर्ट्स कार्यक्रम की शुरुआत अत्यंत हर्ष की बात है। यह नागालैंड विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया गया अपनी तरह का पहला अंतरविषयक मास्टर डिग्री कार्यक्रम है, जो नागा समुदाय की भाषाई और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उत्कृष्टता, समावेशिता और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

विश्वविद्यालय के अनुसार, यह पाठ्यक्रम नागा जनजातीय भाषा अध्ययन केंद्र द्वारा संचालित होगा। इसमें भाषा और संस्कृति के अध्ययन की विभिन्न विचारधाराओं को शामिल करते हुए चार सेमेस्टर का ढांचा अपनाया गया है। इसका उद्देश्य पारंपरिक विषय आधारित सीमाओं से हटकर समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।

नागा जनजातीय भाषा अध्ययन केंद्र की सहायक प्रोफेसर डॉ. यानबेनी यंथान के अनुसार, यह पाठ्यक्रम 21वीं सदी की सामाजिक चुनौतियों, नीति निर्माण में जमीनी योगदान, सांस्कृतिक धरोहर, भाषा पुनर्जीवन, भाषा नीति और स्वदेशी संस्कृतियों के अध्ययन से सम्बंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रासंगिक रहेगा। रोजगार के अवसरों की दृष्टि से यह कार्यक्रम छात्रों को पारंपरिक और उभरते क्षेत्रों जैसे कि शोध, अध्यापन, डिजिटल आर्काइविंग, परामर्श, विकास क्षेत्र, भाषा नीति और योजना विश्लेषण में सक्षम बनाएगा।

विश्वविद्यालय का कहना है कि भाषा और संस्कृति जैसे अंतरविषयक क्षेत्र में एमए करने के बाद छात्र केवल किताबों तक सीमित ज्ञान नहीं, बल्कि समुदायों की नीतियों और विरासत में योगदान करने में सक्षम होंगे। विशेषकर उन जनजातीय और अल्प प्रलेखित भाषाओं और संस्कृतियों की पृष्ठभूमि और जानकारी प्राप्त करेंगे, जो अब तक हाशिए पर रही हैं। यह पीजी कार्यक्रम नागालैंड विश्वविद्यालय की समावेशी, गुणवत्तापूर्ण और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ करता है। 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने और संतोषजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए एक समग्र और बहु-आयामी दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है।

Point of View

बल्कि यह स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने में मदद करेगी। यह एक समयोचित कदम है जो भारतीय समाज में समृद्धि और विविधता को बढ़ावा देगा।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

नागा भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कौन सा पाठ्यक्रम शुरू हुआ है?
नागा भाषा और संस्कृति में मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) का नया पाठ्यक्रम शुरू हुआ है।
इस पाठ्यक्रम की कक्षाएं कब से शुरू होंगी?
इस पाठ्यक्रम की पहली कक्षाएं 5 अगस्त 2025 से आरंभ होंगी।
इस पाठ्यक्रम से छात्रों को क्या लाभ होगा?
छात्र विभिन्न क्षेत्रों में अध्ययन कर सकेंगे और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।