क्या नागपुर में प्रमिलाताई मेढ़े का निधन संघ परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति है?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- प्रमिलाताई मेढ़े का निधन संघ परिवार के लिए बड़ा नुकसान है।
- उन्होंने राष्ट्र सेविका समिति के कार्यों में 60 वर्षों से अधिक का समय दिया।
- उनकी सेवा भावना और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
नागपुर, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व प्रमुख संचालिका प्रमिलाताई मेढ़े का गुरुवार सुबह नागपुर में निधन हो गया। उनकी आयु 97 वर्ष थी। उनके निधन के कारण संघ परिवार में गहरा शोक छाया हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान को प्रेरणास्रोत बताया।
मोहन भागवत ने मीडिया से बातचीत में कहा, "प्रमिलाताई के जाने से हम सभी कार्यकर्ताओं के ऊपर जो वात्सल्य की छाया थी, वह अब हमारे बीच नहीं रही। उन्होंने एक अद्वितीय तपस्या की है। समिति की स्थापना से लेकर अब तक वे लगभग 60 वर्षों से नागपुर में कार्यरत थीं। उन्होंने संगठन को अपने परिश्रम से सींचा है।"
विशेष रूप से उत्तर-पूर्व भारत में प्रमिलाताई मेढ़े के योगदान को याद करते हुए भागवत ने कहा कि उत्तर-पूर्व की कठिन परिस्थितियों में भी वे अकेली जाकर लगातार दो-दो महीने प्रवास करती थीं, जहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं होती थीं। उन्होंने अनेक प्रकार के कष्ट सहकर भी काम जारी रखा। उनका परिश्रम आज भी हमारे समक्ष एक आदर्श है।
उन्होंने कहा कि जब भी हम यहां आते थे, वे बड़ी आत्मीयता से मिलती थीं, हालचाल पूछती थीं और संगठन के बारे में जानने की जिज्ञासा रखती थीं। उनकी अनुपस्थिति निश्चित रूप से खलेगी, लेकिन उनके जीवन का आदर्श हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा।
मोहन भागवत ने आगे कहा कि प्रमिलाताई के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, उनकी कृति स्वयं बोलती है। उन्होंने जिस समर्पण और सेवा भावना से कार्य किया, वह आज की और आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय उदाहरण है।
इससे पहले, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रमिलाताई के निधन पर दुख जताते हुए एक्स पर लिखा, "राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व मुख्य संचालिका, आदरणीय प्रमिलाताई मेढ़े के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। आदरणीय प्रमिलाताई ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेविका समिति के कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। उनके नेतृत्व में राष्ट्र सेविका समिति का कार्य पूरे देश में फैला। उनके समर्पित कार्यों ने अनेक सेविकाओं को राष्ट्र कार्य हेतु प्रेरित किया। मैं उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। मैं राष्ट्र सेविका समिति की सभी सेविकाओं के दुख में सहभागी हूं।"
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            