क्या नौ साल पुराने रिश्वत मामले में बीएचयू क्लर्क को 5 साल कैद की सजा मिली?

सारांश
लखनऊ की सीबीआई विशेष अदालत ने बीएचयू के क्लर्क राजेश कुमार को 9 साल पुराने रिश्वत मामले में 5 साल की सजा सुनाई है। इस मामले में एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। जानें पूरी कहानी इस लेख में।
Key Takeaways
- रिश्वतखोरी के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान।
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई।
- सीबीआई की प्रभावी जांच प्रक्रिया।
- कानूनी प्रक्रिया से न्याय की उपलब्धता।
- समाज में भ्रष्टाचार के प्रति जागरूकता।
लखनऊ, 13 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने एक 9 साल पुराने रिश्वतखोरी के मामले में शुक्रवार को बीएचयू के क्लर्क को 5 साल की सजा सुनाई है। दोषी क्लर्क पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए इस फैसले की जानकारी दी।
सीबीआई ने बताया कि अदालत ने शुक्रवार को बीएचयू के क्लर्क को दोषी ठहराया। रिश्वत के मामले में दोषी क्लर्क राजेश कुमार को 5 साल की कैद और 1 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
जांच एजेंसी ने 2 जून 2016 को वाराणसी के बीएचयू के सीनियर असिस्टेंट (क्लर्क) राजेश कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
दरअसल, बीएचयू में स्वीपर के पद पर कार्यरत कल्लू की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी। राजेश कुमार ने कल्लू के बेटे से डेथ बेनिफिट्स की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 75 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ता का कहना था कि पिता की मृत्यु के बाद उनके डेथ बेनिफिट्स कानूनी रूप से परिवार के हक में थे, लेकिन राजेश कुमार ने हालात का फायदा उठाने की कोशिश की।
शिकायतकर्ता ने सीबीआई से क्लर्क की शिकायत की। इसके बाद सीबीआई ने जाल बिछाया और आरोपी राजेश कुमार को शिकायतकर्ता से 30 हजार रुपए की रिश्वत मांगते और स्वीकार करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। इस कार्रवाई ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के स्पष्ट सबूत स्थापित किए।
उसकी गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने अपनी जांच पूरी की। इसके बाद 30 जून 2016 को आरोपी क्लर्क राजेश कुमार के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया। कोर्ट में मुकदमा चला। अभियोजन पक्ष ने रिश्वतखोरी और कदाचार के आरोपों को साबित करने के लिए गवाह, दस्तावेज और अन्य भौतिक साक्ष्य पेश किए।
तथ्यों की जांच और साक्ष्यों पर विचार करने के बाद सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश ने राजेश कुमार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी पाया। शुक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए उसे 5 साल के कारावास और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।