क्या मां शैलपुत्री की पूजा से नवरात्रि की नौ देवियों का दर्शन संभव है?

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क्या मां शैलपुत्री की पूजा से नवरात्रि की नौ देवियों का दर्शन संभव है?

सारांश

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करते समय एक विशेष श्लोक पढ़ना आपको देवी के सभी नौ रूपों का ध्यान दिलाएगा। जानें कैसे यह मंत्र शक्ति की यात्रा का प्रतीक है और नवरात्रि का महत्व क्या है।

Key Takeaways

  • नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है।
  • विशेष मंत्र पढ़ने से सभी नौ देवियों का ध्यान होता है।
  • नवरात्रि का उत्सव हमारे समाज में शक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करते समय यदि आप यह श्लोक पढ़ते हैं, तो देवी के सभी नौ रूपों का ध्यान अपने आप हो जाता है। यह श्लोक केवल नामों का संकलन नहीं है, बल्कि शक्ति की यात्रा की झलक है – प्रथम से लेकर सिद्धि तक!

सहज और सरल सा यह मंत्र, दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा के 9 रूपों का वर्णन देवीकवच के अंतर्गत आता है। यह दुर्गा सप्तशती के किसी विशेष अध्याय में नहीं है, बल्कि ब्रह्मा जी द्वारा वर्णित किया गया है और देवीकवच के कुल 56 श्लोकों में मिल जाता है। यह देवी के नौ रूपों (नवदुर्गा) का वर्णन करता है। ब्रह्मा जी ने महात्मना देवी के नौ रूपों का संक्षेप में वर्णन किया है। पहले दिन इसके मनन से मां के नौ रूपों का स्मरण होता है।

मंत्र कुछ इस प्रकार है- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्मांडा चतुर्थकं॥ पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमं॥ नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिता॥

अर्थात, पहली मां शैलपुत्री हैं और दूसरी ब्रह्मचारिणी तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवीं स्कन्दमाता और छठी कात्यायानी हैं। सातवीं कालरात्रि और आठवीं महागौरी हैं। ये मां के नौ रूप हैं।

2025 की शारदीय नवरात्रि 22 सितबंर से शुरू हो रही है और दशमी 2 अक्टूबर को है। इसी दिन कलश या घट स्थापना की जाती है। पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर की रात 01:23 बजे शुरू होगी और 23 सितंबर की रात 02:55 बजे तक रहेगी। उदय काल की तिथि मान्य होती है इसलिए 22 सितंबर को ही घटस्थापना होगी।

क्योंकि इस बार नवरात्र की प्रतिपदा सोमवार को है इसलिए मान्यतानुसार मां भवानी हाथी पर सवार हो आ रही हैं। देवी का गजवाहन आगमन सुख-समृद्धि और अच्छी वर्षा का प्रतीक माना जाता है। वहीं मां इस बार भक्तजनों के कंधे यानी नरवाहन पर सवार होकर विदा होंगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं है। यह समाज में शक्ति, समर्पण और आस्था का प्रतीक है, जो हमें एकजुट करता है।
NationPress
20/09/2025

Frequently Asked Questions

नवरात्रि का महत्व क्या है?
नवरात्रि का महत्व मां दुर्गा की पूजा और शक्ति की आराधना में है, जो हमें सच्चाई, समर्पण और आस्था की ओर प्रेरित करता है।
क्या यह मंत्र सभी नौ देवियों का ध्यान करा सकता है?
हां, यह मंत्र पढ़ने से आप मां शैलपुत्री के साथ-साथ अन्य सभी नौ देवियों का ध्यान कर सकते हैं।
घटस्थापना कब की जाती है?
घटस्थापना 22 सितंबर को की जाएगी, जो शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि होगी।