क्या किसानों के मुआवजे को लेकर एनसीपी शरद पवार गुट का 'हल्लाबोल' है, काली दिवाली मनाने की चेतावनी?

सारांश
Key Takeaways
- किसानों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
- सरकार को मौजूदा नीतियों का पुनरावलोकन करना चाहिए।
- किसानों के लिए सही मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए।
- प्रदर्शनकारियों की आवाज़ को महत्व देना चाहिए।
- किसानों की स्थिति में सुधार के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
धुले, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) ने राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ धुले में एक प्रभावशाली विरोध प्रदर्शन किया। 'काली दिवाली' का नारा लगाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पर 'हल्लाबोल' किया और काली पट्टी बांधकर सरकार के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।
पार्टी का कहना है कि राज्य में हुई अतिवृष्टि के कारण किसानों को भयंकर नुकसान हुआ है, लेकिन सरकार द्वारा घोषित सहायता अपर्याप्त है।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि किसानों को संपूर्ण कर्जमाफी और प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए। यही बात लेकर यह आंदोलन जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर आयोजित किया गया। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो इस वर्ष किसान 'काली दिवाली' मनाएंगे।
पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा घोषित किए गए 31 हजार करोड़ रुपये का पैकेज किसानों के साथ एक धोखा है। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। इस विरोध प्रदर्शन के कारण जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में कुछ समय के लिए तनाव का माहौल बना रहा।
इससे पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि राज्य सरकार ने किसानों से किए वादे को पूरा किया है और दिवाली से पहले उनके खातों में राहत राशि पहुंचाई जाएगी।
शिंदे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “किसानों की दिवाली काली नहीं होने देंगे। यह जो वचन हमने दिया था, उसे हमने निभाया है। अजीत दादा (अजीत पवार) और मैंने मिलकर निर्णय लिया है कि 32 हजार करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया गया है। दिवाली से पहले यह पैसा किसानों के खातों में जाएगा। किसानों को हम अधर में नहीं छोड़ेंगे। यह जो वचन हमने दिया था, उसे हमने पूरा किया है।”