क्या एनडीआरएफ ने जालना और अहिल्यानगर में सफल बाढ़ बचाव अभियान चलाया?

सारांश
Key Takeaways
- एनडीआरएफ की तत्परता और साहस
- जालना और अहिल्यानगर जिले में बाढ़ से बचाव
- कमांडेंट संतोष बहादुर सिंह का नेतृत्व
- रस्सी-आधारित तकनीक का उपयोग
- स्थानीय निवासियों की सराहना
पुणे, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के जालना और अहिल्यानगर जिले में अत्यधिक वर्षा और जयकवाड़ी बांध से पानी की भारी निकासी के कारण उत्पन्न बाढ़ संकट के बीच, एनडीआरएफ की पांचवीं बटालियन ने कमांडेंट संतोष बहादुर सिंह के नेतृत्व में प्रभावी बचाव अभियान चलाकर 102 लोगों की जान बचाई।
यह अभियान राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की चेतावनियों के आधार पर शुरू किया गया था।
जालना जिले में जयकवाड़ी बांध से 2,26,368 क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना और भारी वर्षा की चेतावनी के बाद, एनडीआरएफ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 28 सितंबर
29 सितंबर को घनसांगवी तहसील के मंगलूर गांव में बाढ़ जल बचाव (एफडब्ल्यूआर) अभियान चलाया गया। इस अभियान में एनडीआरएफ ने बाढ़ में फंसे 58 लोगों को सुरक्षित निकाला, जिनमें 44 पुरुष और 14 महिलाएं शामिल थीं।
वहीं, अहिल्यानगर जिले के कर्जत तहसील के मालथान गांव में भी एनडीआरएफ ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बचाव अभियान चलाया। कीचड़ भरे इलाके और गन्ने के खेतों के कारण नाव संचालन संभव नहीं था, जिसके चलते टीम ने रस्सी-आधारित बचाव तकनीक का उपयोग किया। इस अभियान में 44 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
एनडीआरएफ की टीमें स्थानीय प्रशासन, एसडीएमए, आईएमडी और बांध अधिकारियों के साथ निरंतर समन्वय बनाए हुए हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके।
कमांडेंट संतोष बहादुर सिंह ने बताया कि उनकी टीमें हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं और जीवन रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह अभियान एनडीआरएफ की तत्परता और समर्पण का एक और उदाहरण है।
पांचवीं बटालियन पुणे ने न केवल तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मानवीय संवेदनशीलता के साथ काम किया।
स्थानीय निवासियों ने एनडीआरएफ के इस कार्य की सराहना की और उनकी त्वरित प्रतिक्रिया को जीवन रक्षक बताया।