क्या नेमप्लेट विवाद में स्वामी यशवीर महाराज ने यूपी खाद्य विभाग के फैसले का विरोध किया?

सारांश
Key Takeaways
- कांवड़ यात्रा से पहले नेमप्लेट विवाद महत्वपूर्ण बन गया है।
- स्वामी यशवीर महाराज ने यूपी खाद्य विभाग के फैसले का विरोध किया।
- धार्मिक संगठनों की संगठित प्रतिक्रिया सामने आई है।
- सरकार को संवेदनशीलता से इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए।
- स्वामी यशवीर महाराज का अभियान 'अशुद्ध भोजन' के खिलाफ है।
मुजफ्फरनगर, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांवड़ यात्रा से पहले 'नेमप्लेट' पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ हिंदू संगठन कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानों पर 'नेमप्लेट' लगाने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच, उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने दुकानदारों को ग्राहक संतुष्टि फीडबैक प्रपत्र के साथ फूड सेफ्टी ऐप के क्यूआर कोड तैयार करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, स्वामी यशवीर महाराज इस निर्णय से असंतुष्ट हैं और उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
कांवड़ यात्रा की शुरुआत से पहले चर्चा में आए यशवीर महाराज ने 'अशुद्ध भोजन' परोसने वालों के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। रविवार को उन्होंने एक वीडियो संदेश में उत्तर प्रदेश खाद्य विभाग के आदेश का विरोध करते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश खाद्य विभाग ने प्रपत्र जारी किया है। यह इसलिए है कि क्यूआर कोड चेक होने पर दुकान का नाम प्रकट होगा। हम इस प्रपत्र से संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि इससे भी सनातन धर्म के देवी-देवताओं के नाम पर बोर्ड लगाने वाले 'थूक-मूत्र गैंग' को लाइसेंस मिल जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा, "क्यूआर कोड पर न दुकान मालिक का नाम आएगा, न कर्मचारियों का।" स्वामी यशवीर महाराज ने आशंका जताई कि "ये लोग दूसरों के नाम पर लाइसेंस ले लेंगे, जिसमें दुकान मालिक और कर्मचारी भी हिंदू नहीं होंगे।"
महाराज ने सरकार से अनुरोध किया है कि 'नेमप्लेट व्यवस्था' पर सही निर्णय लिया जाए। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार से यह अनुरोध है कि जितने भी फूड लाइसेंस हैं, उन्हें निरस्त किया जाए। एक ऐसी व्यवस्था हो, जिसमें फूड लाइसेंस मिलने पर मालिक का नाम और वहां काम करने वालों के नाम भी हों।"
इससे पहले, स्वामी यशवीर महाराज ने घोषणा की थी, "हम 'थूक-मूत्र गैंग' के घोर विरोधी हैं। इन षड्यंत्रों को अब और नहीं चलने दिया जाएगा। इस तरह के गैंग के खिलाफ हमारी क्रांति चलती रहेगी।"