क्या अंजेल चकमा हत्याकांड में एनएचआरसी ने लिया संज्ञान?
सारांश
Key Takeaways
- एनएचआरसी ने मामले का संज्ञान लिया है।
- राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट की जरूरत है।
- पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दी गई है।
- घटना से पूर्वोत्तर में आक्रोश फैला है।
- अब तक पांच आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तराखंड के देहरादून में त्रिपुरा के एक छात्र की हत्या के मामले में उचित संज्ञान लिया है। इस संदर्भ में एनएचआरसी सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में एक पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पूरे राज्य में पूर्वोत्तर के छात्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश भी दिए हैं। रिपोर्ट में जांच की प्रगति, आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उठाए गए कदम और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उठाए गए उपायों का विवरण अपेक्षित है।
ज्ञात हो कि त्रिपुरा के छात्र की हत्या के मामले में उत्तराखंड सरकार ने पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर एंजेल चकमा के पिता तरुण प्रसाद चकमा को पहली किस्त के रूप में 4 लाख 12 हजार 500 रुपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। यह सहायता राशि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अंतर्गत दी गई है।
एंजेल की मौत देहरादून में कथित तौर पर नस्लीय अपशब्दों को लेकर हुए जानलेवा हमले के बाद हुई थी। 26 दिसंबरपुष्कर सिंह धामी ने एंजेल चकमा के पिता से फोन पर बातचीत की थी, जिसमें उन्होंने एंजेल की हत्या पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की थी। मुख्यमंत्री धामी के अनुसार, इस मामले में अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
अधिकारियों और परिवार के सदस्यों के अनुसार, उत्तराखंड के एक विश्वविद्यालय में एमबीए के अंतिम वर्ष के छात्र और सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल के बेटे ने 26 दिसंबर को देहरादून के एक अस्पताल में चोटों के कारण दम तोड़ दिया। चकमा आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाला यह छात्र 9 दिसंबर को बदमाशों के एक समूह के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया था, जिन्होंने कथित तौर पर नस्लीय टिप्पणियाँ की थीं।
इस जघन्य घटना से पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया है, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता और असम से सांसद गौरव गोगोई, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा, उनके मेघालय के समकक्ष कॉनराड के संगमा और कई संगठनों ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे एक भयानक नफरत भरा अपराध बताया है और दोषियों के लिए कड़ी सजा की मांग की है।