क्या फ्री बिजली की घोषणा से नीतीश कुमार की छवि में सुधार होगा?

सारांश
Key Takeaways
- नीतीश कुमार ने १२५ यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की।
- विपक्ष ने इसे चुनावी चाल कहा है।
- महिलाओं के मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
लखनऊ, १७ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए नीतीश कुमार सरकार ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की। अब उपभोक्ताओं को हर महीने १२५ यूनिट बिजली के लिए एक भी रुपया नहीं देना पड़ेगा।
सरकार के इस निर्णय से जहां आम जनता में खुशी की लहर है, वहीं राजनीति भी गर्मा गई है।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने इस फैसले पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नीतीश कुमार केवल अपनी छवि को सुधारने के लिए यह घोषणा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे उनकी छवि में कोई सुधार नहीं होगा।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि नीतीश कुमार को बिहार में कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, महंगाई, और गिरते पुलों के मुद्दों पर जवाब देना चाहिए। यह घोषणा चुनाव से पहले उनकी छवि सुधारने की कोशिश है। सपा का विश्वास है कि इंडिया ब्लॉक की सरकार बिहार में बनेगी और भाजपा के साथ जो भी दल हैं, उनका विरोध करेंगे।
ओडिशा बंद पर उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य में महिलाओं के साथ अत्याचार गलत है और ओडिशा की बेटियों को न्याय मिलना चाहिए। विपक्ष इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहा है ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।
उन्होंने अखिलेश यादव के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि जब सपा की यूपी में सरकार थी, तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए गए थे। अन्य राज्यों को भी इससे सीख लेनी चाहिए।
चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के आरोपों पर उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में एक चुनाव अधिकारी को धांधली करते हुए पकड़ा गया था। बिहार में वोटर वेरिफिकेशन के मुद्दे पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, और आयोग के पास जवाब नहीं है। बिहार में भाजपा आयोग के साथ मिलकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन विपक्ष उन्हें सफल नहीं होने देगा।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो सवाल पूछ रहे हैं, वह सही हैं और जनता भी ऐसा मान रही है। वोटर वेरिफिकेशन मामले में आयोग की भूमिका संदेह के दायरे में है।