क्या गौतमबुद्ध नगर में 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' अभियान से सड़क सुरक्षा में सुधार होगा?

सारांश
Key Takeaways
- सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है।
- हेलमेट पहनना जीवन की सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जागरूकता फैलाना है।
- दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सबको मिलकर काम करना होगा।
- प्रशासन इस नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
गौतमबुद्ध नगर, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सड़क दुर्घटनाओं में हो रही निरंतर जनहानि एवं सुरक्षा की अनदेखी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सोमवार से पूरे प्रदेश में 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' अभियान की शुरुआत की गई है।
इस विशेष पहल के तहत अब बिना हेलमेट के आने वाले किसी भी दोपहिया वाहन चालक या सवार को पेट्रोल, डीजल या सीएनजी नहीं दी जाएगी।
यह अभियान 1 सितंबर से 30 सितंबर तक पूरे प्रदेश में चलेगा। गौतमबुद्ध नगर में इसे सफल बनाने के लिए जिलाधिकारी मेधा रूपम के निर्देश पर जिला सड़क सुरक्षा समिति (डीआरएससी) सक्रियता से कार्यरत है।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) डॉ. उदित नारायण पांडेय ने बताया कि पुलिस, जिला प्रशासन और परिवहन विभाग इस अभियान की सघन निगरानी करेंगे। पेट्रोल पंपों पर नियमों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी खाद्य एवं रसद विभाग को सौंपी गई है।
अधिकारियों के अनुसार, इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दंडित करना नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करना और सड़क सुरक्षा को एक जीवनशैली का हिस्सा बनाना है। हेलमेट पहनने की आदत से न केवल सवार की जान सुरक्षित रहेगी, बल्कि दुर्घटनाओं में गंभीर चोटों और मृत्यु दर को भी कम किया जा सकेगा।
प्रशासन ने इस अभियान के दौरान व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना बनाई है। सोशल मीडिया, पोस्टर, बैनर और जागरूकता रैलियों के माध्यम से लोगों को यह संदेश दिया जाएगा कि बिना हेलमेट ईंधन नहीं मिलेगा। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सड़क सुरक्षा सबकी जिम्मेदारी है और इसमें जनता का सहयोग सबसे महत्वपूर्ण है।
जिलाधिकारी मेधा रूपम ने कहा कि सड़क पर हर व्यक्ति की जिंदगी अमूल्य है। हेलमेट को एक बोझ समझने के बजाय इसे सुरक्षा कवच मानना चाहिए। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे इस अभियान को अपनाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।