क्या नोएडा में पहले महिला को किया गया ‘डिजिटल अरेस्ट’, फिर 31 लाख रुपए ठगे?

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क्या नोएडा में पहले महिला को किया गया ‘डिजिटल अरेस्ट’, फिर 31 लाख रुपए ठगे?

सारांश

नोएडा में एक महिला को धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ा, जब उसे वीडियो कॉल के माध्यम से 'डिजिटल अरेस्ट' किया गया। आरोपी ने डर और दबाव डालकर उससे 31 लाख रुपए ठग लिए। यह घटना साइबर ठगी की बढ़ती समस्या को उजागर करती है। जानें इस मामले में आगे क्या हुआ।

Key Takeaways

  • साइबर ठगी का मामला लगातार बढ़ रहा है।
  • वीडियो कॉल के माध्यम से धोखाधड़ी की जा रही है।
  • पीड़ितों को तुरंत साइबर सेल से संपर्क करना चाहिए।
  • सरकारी विभाग फोन पर किसी भी तरह का धमकी नहीं देते।
  • शिकायत करने के लिए 1930 पर कॉल करें।

नोएडा, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा में साइबर ठगों का आतंक बढ़ता जा रहा है। हाल की घटना सेक्टर-100 में हुई, जहां एक महिला को वीडियो कॉल के माध्यम से ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया गया और डर और दबाव डालकर उससे 31 लाख रुपए ठग लिए गए। जब पीड़िता को एहसास हुआ कि वह धोखाधड़ी का शिकार बनी है, तो उसने साइबर सेल में शिकायत की। पुलिस अब आरोपियों की खोज में जुटी है और जिन खातों में पैसा भेजा गया, उन्हें फ्रीज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

पीड़िता कुमुद बहादुर ने अपनी शिकायत में बताया कि 24 अक्टूबर को उन्हें एक अनजान कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) का अधिकारी बताया। उसने कहा कि केनरा बैंक से जुड़े उनके आधार नंबर का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हो रहा है और उनके नाम पर दिल्ली के दरियागंज थाने में एफआईआर दर्ज है।

इसके बाद महिला के पास एक वीडियो कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और गंभीर लहजे में मनी लॉन्ड्रिंग केस की जानकारी दी। महिला को चेतावनी दी गई कि वह यह जानकारी किसी से साझा न करे, वरना उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

ठगों ने कहा कि उनके बैंक खाते में 80 लाख रुपए ‘चैनलाइज’ किए गए हैं और उनका फोन नंबर भी इस अपराध में शामिल है। इसके बाद पीड़िता को झूठा समन भेजकर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि वह अपनी सारी नकदी और फिक्स्ड डिपॉजिट राशि एक जांच खाते में जमा करे। पहले दो दिनों की डेडलाइन दी गई, फिर इसे चार दिन तक बढ़ा दिया गया। ठगों के दबाव में आकर महिला ने 28 अक्टूबर को 23 लाख रुपए और अगले दिन 8 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। कुल मिला कर 31 लाख रुपए उनके खाते से अलग-अलग खातों में भेजे गए।

आखिरी वीडियो कॉल 30 अक्टूबर की सुबह आया, जिसमें ठग ने खुद को ईडी अधिकारी बताया। कुछ सवाल-जवाब के बाद कॉल अचानक कट गया। इसके बाद पीड़िता को शक हुआ और उसने पूरा मामला अपने परिवार को बताया, जिसके बाद साइबर सेल से संपर्क किया गया। साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू कर दी है और जिन खातों में पैसा ट्रांसफर हुआ है, उन्हें ट्रैक कर फ्रीज कराने की कार्रवाई की जा रही है।

अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि कोई भी सरकारी विभाग फोन या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी या मनी लॉन्ड्रिंग का डर नहीं दिखाता और न ही निजी खाते में पैसे जमा कराने की मांग करता है। ऐसे कॉल आने पर तुरंत 1930 पर शिकायत करें।

Point of View

NationPress
06/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या डिजिटल अरेस्ट वास्तव में होता है?
डिजिटल अरेस्ट का कोई आधिकारिक स्वरूप नहीं है। यह आमतौर पर साइबर ठगों द्वारा डराने के लिए उपयोग किया जाता है।
इस मामले में पुलिस ने क्या कार्रवाई की?
पुलिस ने साइबर सेल को मामले की जांच के लिए नियुक्त किया है और आरोपियों की तलाश कर रही है।
अगर मुझे धोखाधड़ी का सामना करना पड़े तो क्या करें?
आपको तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर सेल में शिकायत करनी चाहिए।