क्या नोएडा में फर्जी दस्तावेजों से बैंक खाते खुलवाकर साइबर अपराधियों को बेचा जा रहा था?
सारांश
Key Takeaways
- नोएडा पुलिस ने एक बड़े साइबर अपराध गिरोह का खुलासा किया।
- चार आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं जो फर्जी दस्तावेजों से खाते खोलते थे।
- इन खातों का उपयोग कई साइबर अपराधों में किया जाता था।
- पुलिस ने आरोपी के पास से महत्वपूर्ण सामान बरामद किए हैं।
- साइबर अपराधियों पर कार्रवाई लगातार जारी है।
नोएडा, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी में उपयोग होने वाले बैंक खातों की आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ते हुए एक बड़े गिरोह का खुलासा किया है। थाना फेस-3 पुलिस ने सेक्टर 66 की ग्रीन बेल्ट के निकट चार आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर बैंक खाते खोलते थे और उन्हें साइबर अपराधियों को ऊंची कीमत पर बेचते थे।
इन खातों का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन गेमिंग धोखाधड़ी, सट्टेबाजी और कई अन्य साइबर अपराधों में किया जाता था। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान पुलिस द्वारा वरुण प्रताप सिंह (35), सार्थक गुप्ता (20), अर्थव दीक्षित (19) और मोनू यादव (25) के रूप में की गई है। सभी आरोपी जनपद मैनपुरी के निवासी हैं। इनके खिलाफ विभिन्न मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस ने आरोपियों के पास से 4 मोबाइल फोन, 7 डेबिट कार्ड, एक चेक बुक और सफेद रंग की बलेनो कार बरामद की है। जांच में पता चला है कि यह लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विभिन्न बैंकों में खाते खुलवाते थे। मोनू यादव इस नेटवर्क में सप्लायर की भूमिका निभाता था। एक खाते की पूरी किट चेकबुक, डेबिट कार्ड और सिम कार्ड गरीब या अनजान लोगों से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर तैयार की जाती थी, और फिर ये खाते साइबर अपराधियों को बेचे जाते थे।
जानकारी के अनुसार, एक खाते के लिए लगभग 60,000 रुपए तय होते थे। साइबर गिरोह इन खातों में प्रतिदिन लेनदेन करता था और बदले में सप्लायरों को 50,000 रुपए प्रतिदिन तक का भुगतान किया जाता था। कई खातों की लिमिट 50 लाख से 5 करोड़ रुपए तक रखी जाती थी, ताकि बड़े लेनदेन आसानी से हो सकें।
पुलिस पूछताछ में पता चला है कि ये खाते डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी, ऑनलाइन गेमिंग धोखाधड़ी और सट्टा से होने वाली कमाई को रिसीव करने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। कोटक बैंक में खोला गया एक करेंट अकाउंट प्रतिदिन एक करोड़ रुपए की लिमिट के साथ संचालित किया जा रहा था।
पुलिस के अनुसार, आरोपी अत्यंत तकनीकी रूप से सावधान थे। ये लोग व्हाट्सऐप वॉयस कॉल और डिस्पियरिंग चैट्स का उपयोग करते थे ताकि कोई सबूत न छोड़ा जाए। मोनू यादव के फोन से पहले बेचे गए तीन अन्य खातों की जानकारी भी मिली है, जिनकी जांच अभी जारी है। पुलिस अब फरार अन्य आरोपियों की खोज कर रही है और इस बात की जांच कर रही है कि इस गिरोह का नेटवर्क किन राज्यों तक फैला हुआ है।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि नोएडा क्षेत्र में साइबर अपराधियों पर निरंतर कार्रवाई की जा रही है और जल्द ही अन्य गिरफ्तारियाँ भी हो सकती हैं। नागरिकों को ऐसे किसी संदिग्ध गतिविधि, फर्जी कॉल, डिजिटल अरेस्ट या संदिग्ध खातों में पैसे भेजने से बचने की सलाह दी गई है।