क्या नोटबंदी में 27 लाख रुपये का घपला हुआ? हैदराबाद पोस्ट ऑफिस के दो कर्मचारियों को मिली जेल
सारांश
Key Takeaways
- नोटबंदी के दौरान 27 लाख रुपये की हेराफेरी का मामला है।
- दो पूर्व पोस्ट ऑफिस कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया।
- उन्हें दो-दो साल की जेल और जुर्माना लगाया गया।
- यह फैसला सरकारी खजाने के साथ धोखा मानता है।
- यह मामला अन्य घपलों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
हैदराबाद, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई की विशेष अदालत ने नोटबंदी के दौरान पोस्ट ऑफिस में हुई 27 लाख रुपये से अधिक की हेराफेरी के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने हुमायूं नगर सब-पोस्ट ऑफिस के दो पूर्व कर्मचारियों को दोषी ठहराते हुए दोनों को दो-दो साल की कठोर कैद और 65-65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है。
ये दोषी कर्मचारी हैं- अदपा श्रीनिवास और यू. राज्यलक्ष्मी। नोटबंदी के समय श्रीनिवास ट्रेजरर के पद पर थे, जबकि राज्यलक्ष्मी पोस्टल असिस्टेंट थीं। 8 नवंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी, उसके ठीक दो दिन बाद से ये दोनों गोरखधंधा शुरू कर चुके थे।
10 नवंबर से 24 नवंबर 2016 के बीच लोग पोस्ट ऑफिस में पुराने नोट बदलवाने आते थे। इन दोनों ने तब बिना कोई फॉर्म भरे, बिना कोई रिकॉर्ड दिखाए लोगों से पुराने नोट लिए और बदले में नए नोट नहीं दिए। कुल मिलाकर 27 लाख 27 हजार 397 रुपये की यह रकम उन्होंने हड़प ली। बाद में खातों में भी हेराफेरी करके सारा मामला दबाने की कोशिश की।
मामला तब खुला जब हैदराबाद पोस्ट ऑफिस के सीनियर सुपरिटेंडेंट ने गड़बड़ी पकड़ी और 2017 में शिकायत दर्ज कराई। सीबीआई ने 31 अगस्त 2017 को केस दर्ज किया। लंबी जांच के बाद 25 अक्टूबर 2019 को दोनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। छह साल तक चले मुकदमे के बाद सीबीआई कोर्ट ने 1 दिसंबर 2025 को दोनों को दोषी करार दिया और अगले ही दिन यानी 2 दिसंबर को सजा सुनाई।
अदालत ने इसे सरकारी खजाने के साथ धोखा और आम जनता के विश्वास को तोड़ने वाला गंभीर अपराध माना। नोटबंदी के दौरान देश भर में कई छोटे-बड़े घपले सामने आए थे, लेकिन उनमें से बहुत कम मामलों में अब तक सजा हो पाई है। यह फैसला ऐसे मामलों में एक मिसाल बन सकता है।