क्या ‘ऑपरेशन सिंधु’ दुनिया को मोदी सरकार की शक्ति दर्शाता है?

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क्या ‘ऑपरेशन सिंधु’ दुनिया को मोदी सरकार की शक्ति दर्शाता है?

सारांश

भारत ने ईरान में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है। यह मिशन, युद्ध के खतरों के बीच, सुरक्षा की नई मिसाल पेश करता है। जानिए, कैसे भारत ने अन्य राहत अभियानों के साथ अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।

Key Takeaways

  • ऑपरेशन सिंधु का उद्देश्य ईरान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालना है।
  • इस मिशन को मोदी सरकार की सुरक्षा नीति का एक हिस्सा माना गया है।
  • भारत ने कई सफल राहत अभियानों का इतिहास रखा है।
  • सरकार का उद्देश्य हर भारतीय नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत 22 जून को हुई थी।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। जब पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध की कगार पर खड़ा है, भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ‘ऑपरेशन सिंधु’ की शुरुआत की है। यह विशेष राहत मिशन ईरान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए आरंभ किया गया है, जहां हालिया दिनों में इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष चरम पर पहुंच गया है।

ईरान की ओर से भारत के लिए एयरस्पेस खोलने की अनुमति मिलते ही यह ऑपरेशन गति पकड़ चुका है। सरकार के सहयोग से यह निकासी अभियान जारी है और रविवार शाम तक 1,428 भारतीय नागरिक स्वदेश लौट चुके हैं।

‘ऑपरेशन सिंधु’ भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक मानवीय राहत अभियान है, जिसका उद्देश्य युद्ध जैसे हालात में ईरान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालना है। यह केंद्र की मोदी सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत विदेशों में रह रहे हर भारतीय की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। भले वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बीते 11 वर्षों में कई सफल राहत और बचाव अभियान चलाए हैं, जो वैश्विक स्तर पर मानवीय मूल्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

ऑपरेशन राहत (2015) : यमन संकट के दौरान 4,640 भारतीयों के साथ 41 देशों के 960 नागरिकों की सुरक्षित निकासी।

ऑपरेशन मैत्री (2015) : नेपाल भूकंप के बाद 43,000 से अधिक भारतीयों को निकाला गया और राहत पहुंचाई गई।

ऑपरेशन संकट मोचन (2016) : दक्षिण सूडान से 300 भारतीयों और नेपाली नागरिकों की निकासी।

लीबिया (2019) : सीआरपीएफ के जवानों समेत 500 से ज्यादा भारतीयों की सुरक्षित वापसी।

ऑपरेशन समुद्र सेतु (2020) : कोरोना महामारी के दौरान तीन देशों से नौसेना के जरिए 3,992 भारतीयों की वापसी।

वंदे भारत मिशन (2020) : कोविड संकट के दौरान 67.5 लाख से अधिक भारतीयों की वैश्विक वापसी।

ऑपरेशन देवी शक्ति (2021) : तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से 500 से ज्यादा भारतीय और अफगान सिख समुदाय के लोगों को निकाला गया।

ऑपरेशन गंगा (2022) : यूक्रेन युद्ध के दौरान 18,282 भारतीयों और अन्य 18 देशों के नागरिकों को सुरक्षित लाया गया।

ऑपरेशन कावेरी (2023) : सूडान संकट से 3,961 भारतीयों और 136 विदेशियों की निकासी।

ऑपरेशन अजय (2023) : इजरायल-हमास संघर्ष के दौरान 1,300 भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया।

ऑपरेशन ब्रह्मा (2025) : म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के बाद 5,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित लाया गया।

पूर्व विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज ने एक बार कहा था, "अगर कोई भारतीय मंगल ग्रह पर भी फंसा होगा, तो भारत सरकार उसे भी वापस लाएगी।" यह कथन उस भावना का प्रतीक है, जो हर भारतीय नागरिक को सुरक्षा का भरोसा देती है, चाहे वह कितनी भी दूर या कठिन परिस्थिति में क्यों न हो।

Point of View

यह कहा जा सकता है कि भारत की सरकार ने हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। 'ऑपरेशन सिंधु' जैसे मिशन, यह दर्शाते हैं कि हमारे देश की नीति कितनी मजबूत और नागरिकों के प्रति प्रतिबद्ध है। ऐसे प्रयास वैश्विक मंच पर भारत की छवि को और मजबूत करते हैं।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

ऑपरेशन सिंधु क्या है?
ऑपरेशन सिंधु भारत सरकार का एक विशेष राहत मिशन है, जिसका उद्देश्य ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाना है।
ऑपरेशन सिंधु के तहत कितने नागरिकों को निकाला गया?
ऑपरेशन सिंधु के तहत अब तक 1,428 भारतीय नागरिक स्वदेश लौट चुके हैं।
ऑपरेशन सिंधु कब शुरू हुआ?
ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत 22 जून को की गई थी।
भारत सरकार के अन्य राहत अभियानों के बारे में जानिए?
भारत ने कई अन्य सफल राहत अभियानों को चलाया है, जैसे 'ऑपरेशन राहत', 'ऑपरेशन मैत्री', 'ऑपरेशन गंगा', और अन्य।
क्या भारत अपने नागरिकों को हर परिस्थिति में सुरक्षित लाएगा?
हाँ, भारत सरकार ने हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, चाहे वे किसी भी परिस्थिति में हों।