क्या 15 अगस्त पर मांस की दुकानें बंद रखना असंवैधानिक है?

सारांश
Key Takeaways
- ओवैसी का विरोध - असदुद्दीन ओवैसी ने 15 अगस्त को मांस की दुकानों को बंद करने के आदेश की कड़ी निंदा की।
- संविधानिक मुद्दा - उन्होंने इसे असंवैधानिक और संवेदनहीन बताया।
- मांस खाने का अधिकार - ओवैसी ने मांस खाने के अधिकार की रक्षा की बात की।
- नगर निगम का आदेश - जीएचएमसी ने मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी किया।
- विपक्ष का विरोध - विपक्षी दलों ने इस आदेश का विरोध किया है।
नई दिल्ली, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद करने के निर्णय की तीखी आलोचना की है। उन्होंने नगर निगम अधिकारियों को संवेदनहीन और असंवैधानिक बताया है।
हैदराबाद के सांसद ने बुधवार को 'एक्स' प्लेटफार्म पर विभिन्न नगर निगमों द्वारा जारी आदेशों की निंदा की और मांस खाने तथा स्वतंत्रता दिवस के बीच के संबंध पर सवाल उठाया।
ओवैसी ने लिखा, "ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के कई नगर निगमों ने 15 अगस्त को बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद रखने का निर्देश दिया है। अफसोस की बात है कि जीएचएमसी ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया है। यह एक संवेदनहीन और असंवैधानिक कृत्य है।"
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष ने कहा, "मांस खाने और स्वतंत्रता दिवस मनाने के बीच क्या संबंध है? तेलंगाना में 99 प्रतिशत लोग मांस खाते हैं। ये मांस प्रतिबंध लोगों की स्वतंत्रता, निजता, आजीविका, संस्कृति, पोषण और धर्म के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।"
जीएचएमसी ने स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी के अवसर पर मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश पहले ही जारी कर दिया है।
नगर निगम ने जीएचएमसी अधिनियम, 1955 की धारा 533 (बी) के तहत यह आदेश जारी किया है।
जीएचएमसी आयुक्त ने यह निर्देश हैदराबाद, साइबराबाद और राचकोंडा के पुलिस आयुक्तों को भेजा है।
जीएचएमसी के सभी पशु चिकित्सा अधिकारियों, सहायक निदेशकों (पशु चिकित्सा), उप निदेशकों (पशु चिकित्सा), और पशु चिकित्सा अनुभाग को इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, जीएचएमसी के सभी जोनल कमिश्नरों और अतिरिक्त कमिश्नरों, तेलंगाना राज्य भेड़ एवं बकरी विकास सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक और पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विभाग के निदेशक को भी आदेश जारी किए गए हैं।
बता दें कि मुंबई में नगर निगम अधिकारियों ने भी इसी तरह के आदेश जारी किए हैं, जिसका विपक्षी दल द्वारा विरोध किया गया है।