क्या बृहस्पति देव की कृपा और रवि योग के साथ पंचमी तिथि पर पूजन करना चाहिए?

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क्या बृहस्पति देव की कृपा और रवि योग के साथ पंचमी तिथि पर पूजन करना चाहिए?

सारांश

पौष माह की पंचमी तिथि पर बृहस्पति देव की कृपा और रवि योग का महत्व जानें। इस दिन विशेष पूजा विधियों से आशीर्वाद प्राप्त करने के उपाय और लाभ के बारे में जानकर अपने जीवन को समृद्ध बनाएं।

Key Takeaways

  • पंचमी तिथि पर विशेष पूजा विधि का पालन करें।
  • रवि योग का महत्व समझें और इसका लाभ उठाएं।
  • सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के उपाय करें।
  • गुरुवार का दिन विशेष महत्व रखता है।
  • दान और पूजा से जीवन में समृद्धि लाएं।

नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि गुरुवार को दोपहर १ बजकर ४२ मिनट तक रहेगी। इसके बाद छठवीं तिथि प्रारंभ होगी। इस दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है। सूर्य इस दिन धनु राशि में और चंद्रमा कुंभ राशि में स्थित रहेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार को अभिजीत मुहूर्त दोपहर १२ बजकर १ मिनट से लेकर १२ बजकर ४२ मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर १ बजकर ३९ मिनट से लेकर २ बजकर ५६ मिनट तक होगा। इस तिथि पर रवि योग है, लेकिन कोई विशेष पर्व नहीं है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रवि योग को एक शुभ योग माना जाता है। यह तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है। इस दिन निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित कार्यों की शुरुआत करना बेहद लाभकारी होता है।

इसका संबंध सूर्य देव के विशेष योग से है, जहाँ सूर्य और चंद्रमा की स्थिति अनुकूल होती है। हालांकि, इस दिन कुछ उपाय भी बताए गए हैं। इस योग में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए धन-धान्य, ऊर्जा और आत्मविश्वास के लिए सूर्य को 'ॐ सूर्याय नमः' जल अर्पण करें और लाल वस्त्र, गुड़, या गेहूं का दान करें। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।

गुरुवार का दिन भी इस तिथि पर पड़ रहा है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि गुरुवार को विधि-विधान से पूजा करने से जातक को धन, विद्या और वैवाहिक सुख-सौभाग्य में लाभ होता है। यदि कोई जातक इस दिन व्रत या विधि-विधान से पूजा नहीं कर सकता तो केवल बृहस्पति देव की कथा सुनना भी लाभकारी है। ऐसी मान्यता है कि कथा सुनने से ही घर-परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।

इसकी शुरुआत किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से की जा सकती है और १६ गुरुवार तक व्रत रखकर उद्यापन किया जा सकता है। जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें पीले वस्त्र पहनना चाहिए और पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए, लेकिन पीली चीजों का सेवन न करें।

Point of View

यह कहना उचित है कि धार्मिक एवं ज्योतिषीय तिथियों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बृहस्पति देव की कृपा और रवि योग का महत्व समझकर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह जानकारी समाज के सभी वर्गों के लिए उपयोगी है।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

रवि योग क्या है?
रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है।
पंचमी तिथि का महत्व क्या है?
पंचमी तिथि पर बृहस्पति देव की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
इस दिन कौन-कौन से उपाय करने चाहिए?
इस दिन सूर्य को जल अर्पण करना, दान करना और मां लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए।
रवि योग में क्या करना चाहिए?
रवि योग में निवेश, यात्रा और शिक्षा से संबंधित कार्यों की शुरुआत करना लाभकारी होता है।
गुरुवार की पूजा का महत्व क्या है?
गुरुवार को विधि-विधान से पूजा करने से जातक को धन, विद्या और वैवाहिक सुख मिलता है।
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