क्या पंचकूला में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में अमित शाह ने साहिबजादों के बलिदान की महत्ता पर प्रकाश डाला?
सारांश
Key Takeaways
- साहिबजादों का बलिदान प्रेरणा का स्रोत है।
- गृह मंत्री अमित शाह ने गुरु गोबिंद सिंह जी की महत्ता पर जोर दिया।
- युवाओं को इतिहास को समझने की आवश्यकता है।
- पंचकूला में आयोजित कार्यक्रम महत्वपूर्ण था।
- केंद्र सरकार की योजनाएं युवाओं के लिए लाभकारी हैं।
पंचकूला, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को हरियाणा का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने पंचकूला में आयोजित राज्य स्तरीय ‘वीर बाल दिवस' कार्यक्रम में भाग लिया और गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के बलिदान को श्रद्धांजलि दी। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत की गाथा आने वाली पीढ़ियों को सदा प्रेरित करती रहेगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब शहादत का चर्चा होता है, तो मन में दुख, पीड़ा और शोक का अनुभव होता है, क्योंकि वे बच्चे, जिन्होंने जीवन को ठीक से देखा भी नहीं, अपनी जान दे दी। परंतु इस पर गर्व भी होता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने धर्म और देश की रक्षा के लिए अपने चारों साहिबजादों को बलिदान कर दिया। इसलिए गुरु गोबिंद सिंह जी को ‘सरवंश दानी' कहा जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश के युवाओं को गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके साहिबजादों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
अमित शाह ने इतिहास को देखते हुए बताया कि मुगलों का आक्रमण बाबर के समय से शुरू हुआ था, जिसका विरोध गुरु नानक देव जी ने किया। यह संघर्ष गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी तक चलता रहा। औरंगजेब के अंतिम समय में दशम गुरु का युग था, और मुगल शासन का अंत भी गुरुओं के जीवन काल में हुआ। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी काबा और तमिलनाडु तक गए और समाज में अंधविश्वास को मिटाने का संदेश दिया।
इससे पहले अमित शाह ने हरियाणा में सहकारिता सम्मेलन में भाग लिया, जहां उन्होंने कहा कि पहले भारत को अमेरिका से गेहूं मंगवाना पड़ता था, लेकिन अब हरियाणा और पंजाब पूरे देश को रोटी देने में सक्षम हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि आने वाले एक-दो महीनों में ‘भारत टैक्सी' सेवा शुरू की जाएगी, जिससे पूरा लाभ सीधे लोगों की जेब में जाएगा।
इसके बाद उन्होंने पुलिस परेड कार्यक्रम में भाग लेते हुए कहा कि यह पहली बैच है, जिसमें ८५ प्रतिशत युवा ग्रेजुएट और डबल ग्रेजुएट हैं, जिनकी औसत आयु २६ वर्ष है। यह पहली बैच है जो नए कानूनों के तहत काम संभालेगी। उन्होंने कहा कि पहले पर्ची-खर्ची से नौकरी मिलती थी, लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बिना पर्ची-खर्ची के योग्य युवाओं को नौकरी दी है।