क्या पानी की कमी शरीर को बीमारियों का घर बना देती है? जानिए आयुर्वेद के अनुसार
Key Takeaways
- पानी
- सही मात्रा में पानी का सेवन
- पाचन में सुधार
- त्वचा की सेहत
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पानी केवल प्यास बुझाने के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। सही समय और सही मात्रा में पानी का सेवन न केवल विभिन्न बीमारियों से बचाता है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारता है।
आयुर्वेद का भी मानना है कि शरीर पंचमहाभूतों से निर्मित है, और इसमें जल तत्व का संतुलन बेहद महत्वपूर्ण है। यदि हम पर्याप्त पानी का सेवन नहीं करते हैं, तो वात, पित्त और कफ असंतुलित हो जाते हैं, जिसके फलस्वरूप कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। पानी शरीर से विषाक्त तत्वों को निकालने, पाचन सुधारने, त्वचा की चमक बनाए रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
यदि शरीर को उचित मात्रा में पानी नहीं मिलता है, तो कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। सबसे पहले निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन होता है, जिससे थकान, सिरदर्द और चक्कर आना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। पाचन में कठिनाई होती है और कब्ज जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। गुर्दों की समस्याएँ, किडनी स्टोन और पेशाब से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि होती है। त्वचा सूखी हो जाती है, जिससे मुंहासे और समय से पहले झुर्रियाँ आ सकती हैं।
मस्तिष्क का 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना होता है, इसलिए इसकी कमी से एकाग्रता और स्मरण शक्ति प्रभावित होती है। पानी की कमी होने पर रक्त गाढ़ा हो जाता है, जिससे हाई बीपी और हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
पानी का सेवन कब और कैसे करना चाहिए, यह भी महत्वपूर्ण है। सुबह उठते ही गुनगुना पानी पीना सबसे लाभकारी होता है। यह पेट को साफ करता है और कब्ज को दूर करता है। खाने से 30 मिनट पहले पानी पीना पाचन के लिए लाभदायक है, जबकि खाने के तुरंत बाद पानी पीने से अग्नि प्रभावित होती है। दिनभर में थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए, ताकि गुर्दों पर अधिक दबाव न पड़े। गर्मियों में पानी की आवश्यकता अधिक होती है, जबकि सर्दियों में गुनगुना पानी पीना अधिक उचित है।
कुछ घरेलू नुस्खे भी सहायक होते हैं। तुलसी का पानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, धनिया का पानी गुर्दे और मूत्राशय के लिए फायदेमंद है, और सौंफ का पानी पाचन को सुधारता है और शरीर को ठंडक प्रदान करता है। गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से वजन नियंत्रित रहता है और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। वयस्कों को प्रतिदिन 2.5-3 लीटर पानी पीना चाहिए, जबकि बच्चों और बुजुर्गों को उनकी क्षमता के अनुसार पानी देना चाहिए।