क्या पारिजात वृक्ष है देवताओं का वरदान और मनुष्यों के लिए संजीवनी?

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क्या पारिजात वृक्ष है देवताओं का वरदान और मनुष्यों के लिए संजीवनी?

सारांश

पारिजात वृक्ष, जिसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है, एक दिव्य वृक्ष है जिसमें अनंत विशेषताएँ हैं। इसका उपयोग आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए किया जाता है, और इसकी खूबसूरती से जुड़ी रोचक कथाएँ भी हैं। जानें इसके इतिहास और लाभ।

Key Takeaways

  • पारिजात वृक्ष की खूबसूरती और खुशबू अद्वितीय है।
  • यह एक औषधीय वृक्ष है, जिसका उपयोग साइटिका के दर्द में किया जाता है।
  • इस वृक्ष के फूलों को तोड़ने की मनाही होती है।
  • पारिजात का संबंध कई पुरानी कथाओं से है।
  • यह वृक्ष नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

नई दिल्ली, १७ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पारिजात वृक्ष, जिसे हरसिंगार या नाइट जैस्मिन के नाम से भी जाना जाता है, वास्तव में एक अद्भुत और दिव्य वृक्ष है। इसका नाम लेते ही एक खूबसूरत, सुगंधित और रहस्यमय पेड़ की छवि मन में उभर आती है। इसका आयुर्वेद और पुराणों में विशेष महत्व है।

कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले चौदह रत्नों में से एक पारिजात भी था। इसे स्वर्ग में इंद्र के बगीचे में लगाया गया था और इसे छूने का अधिकार केवल अप्सरा उर्वशी को प्राप्त था।

पारिजात रात के समय खिलता है और सुबह होते ही अपने फूलों को जमीन पर गिरा देता है। इसकी खुशबू इतनी मनमोहक होती है कि पूरा वातावरण सुगंधित हो जाता है। इसकी सबसे पहचान इसकी सफेद फूल और केसरिया डंठल हैं। यही कारण है कि इसे कल्पवृक्ष भी कहा जाता है, जो इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।

कहा जाता है कि जब देवर्षि नारद ने पारिजात के फूल भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को भेंट किए, तो वे इतनी खुश हुईं कि उन्होंने श्रीकृष्ण से इसे अपनी वाटिका में लाने की जिद की। इंद्र ने यह मांग अस्वीकार कर दी, लेकिन श्रीकृष्ण ने गरुड़ पर सवार होकर इसे स्वर्ग से लाकर सत्यभामा की वाटिका में लगाया। दिलचस्प बात यह है कि इसके फूल रुक्मिणी की वाटिका में गिरते थे। इसीलिए इस वृक्ष से जुड़ी कई रोचक कथाएँ प्रचलित हैं।

पारिजात वृक्ष १० से १५ फीट ऊँचा होता है और यह हजारों सालों तक जीवित रह सकता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके फूल तोड़ने की मनाही है, केवल वही फूल उपयोग में लाए जाते हैं जो अपने आप गिर जाते हैं। यह वृक्ष न केवल वातावरण को महकाता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है।

आयुर्वेद में पारिजात को एक औषधीय वृक्ष के रूप में माना गया है। विशेष रूप से, यह साइटिका यानी कमर से पैर तक के दर्द में बहुत प्रभावी है। इसके १०-१५ ताजे पत्तों को पानी में उबालकर बनाए गए काढ़े का सेवन सुबह-शाम करने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है। साथ ही यह जोड़ों के दर्द, बुखार और शारीरिक थकान को भी मिटाता है।

Point of View

बल्कि इसके औषधीय गुण भी इसे विशेष बनाते हैं। यह वृक्ष भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है और इसके संरक्षण की आवश्यकता है।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

पारिजात वृक्ष का वैज्ञानिक नाम क्या है?
पारिजात वृक्ष का वैज्ञानिक नाम Nyctanthes arbor-tristis है।
क्या पारिजात का उपयोग औषधि के लिए किया जा सकता है?
हाँ, पारिजात को आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता है।
पारिजात वृक्ष की विशेषता क्या है?
पारिजात वृक्ष के फूल तोड़ने की मनाही होती है, केवल गिरने वाले फूलों का उपयोग किया जाता है।