क्या पारसियों ने श्रीमद्भगवद्गीता के स्वधर्म के संदेश को आत्मसात किया? : सीएम भूपेंद्र पटेल
सारांश
Key Takeaways
- पारसी समुदाय ने गीता के स्वधर्म के संदेश को आत्मसात किया है।
- सीएम भूपेंद्र पटेल ने पारसी धार्मिक नेताओं को सम्मानित किया।
- समाज में पारसी समुदाय का योगदान अद्वितीय है।
- पारसी समुदाय ने दान की परंपरा को आगे बढ़ाया है।
- समुदाय की समृद्ध संस्कृति का जश्न मनाया गया।
अहमदाबाद, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में सोमवार को अहमदाबाद में पारसी धार्मिक नेताओं का सम्मान करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री ने पारसी धार्मिक नेताओं को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गीता जयंती की बधाई देते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में यह स्पष्ट किया है कि अपने धर्म में ईमानदारी से जीना सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि पारसी समुदाय के पूर्वज भारत आए और गीता के 'स्वधर्म' के संदेश को जीया और कभी भी अपने धर्म को नहीं छोड़ा। पारसियों ने भगवद गीता के स्वधर्म के संदेश को पूरी तरह से आत्मसात किया है। अपने धर्म की रक्षा के लिए, वे 1300 साल पहले ईरान से आए और गुजरात में घुलमिल गए। पारसियों ने राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह भगवान कृष्ण द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान सदियों से संरक्षित है, उसी प्रकार पवित्र अग्नि की रक्षा करके धर्म को बनाए रखने की कहानी भी युगों-युगों तक संरक्षित है। इसलिए पारसी समुदाय ने नवसारी में एक टाइम कैप्सूल रखकर इतिहास को अमर बनाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि यह टाइम कैप्सूल प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी के मंत्र 'विकास भी, विरासत भी' को साकार करेगा।
पारसी समुदाय ने प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी द्वारा दिए गए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास की अवधारणा को साकार किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने पारसी समुदाय के विस्तार के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शुरू की गई पीएम जियो पारसी स्कीम का भी उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पारसी समुदाय गुजरात के सामाजिक जीवन में घुलमिल गया है। उन्होंने कहा कि जहां भी यह समुदाय बसा है, वहां पर दान के बीज बोए गए हैं। उनके पूर्वजों ने हमेशा समाज को कुछ न कुछ योगदान दिया है। इसीलिए कहा जाता है कि दान का दूसरा नाम पारसी है। एरिज खंभाटा वॉलंटियर ट्रस्ट पारसी समुदाय की परोपकार की इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। यह ट्रस्ट स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण सहित विभिन्न क्षेत्रों में वंचित समुदाय के उत्थान के लिए समर्पित है। यह ट्रस्ट एचआईवी प्रभावित लोगों के लिए भी कई कल्याणकारी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से हर साल हजारों लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद, पारसी समुदाय ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी संस्कृति, मूल्यों और तरीकों को आगे बढ़ाया है। मुख्यमंत्री ने आजादी से लेकर आज तक देश के अलग-अलग सेक्टर में योगदान देने वाले पारसी नेताओं को याद किया, जिनमें मैडम भीखाईजी कामा, होमी भाभा, टाटा, वाडिया, गोदरेज परिवार, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, फरदुनजी मर्जबान, नानी पालकीवाला, सोली सोराबजी, फली नरीमन आदि शामिल हैं।
दस्तूरजी, पारसी समुदाय के धार्मिक नेता खुर्शीद दस्तूर ने एरिज खंभाटा बेनेवोलेंट ट्रस्ट के कार्यों की सराहना की और अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने पारसी समुदाय समेत सभी के विकास के लिए लगातार काम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी का आभार व्यक्त किया।