क्या गोमूत्र वास्तव में औषधि है, अपशिष्ट नहीं?
सारांश
Key Takeaways
- गोमूत्र को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है।
- यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है और विभिन्न बीमारियों में मदद करता है।
- गोमूत्र में मौजूद तत्व इसे बायो-एनहैंसर बनाते हैं।
- अमेरिका ने इसे पेटेंट किया है, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है।
- आयुर्वेद में इसे संजीवनी कहा गया है।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में सदियों से गोमूत्र को पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। आयुर्वेद में गोमूत्र को 'अमृत' और 'संजीवनी' के साथ पंचगव्य का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। अमेरिका भी गोमूत्र के गुणों को मान्यता देता है।
गोमूत्र शरीर के लिए एक डिटॉक्स का काम करता है, इम्यूनिटी को बढ़ाता है, और वात-पित्त-कफ का संतुलन बनाए रखता है। यह कीटाणुओं को मारता है, सूजन और दर्द को कम करता है, और पाचन, लिवर, किडनी, और त्वचा के रोगों में सहायता करता है।
भारत के साथ ही विदेशी देशों में भी गोमूत्र को लाभकारी माना जाता है। 8 दिसंबर 2002 को अमेरिका को गोमूत्र पर पेटेंट मिला था, जिससे यह साबित होता है कि गोमूत्र कोई जहरीला अपशिष्ट नहीं है। इसमें 95 प्रतिशत पानी, 2.5 प्रतिशत यूरिया और 2.5 प्रतिशत खनिज, लवण और एंजाइम होते हैं। ये तत्व इसे एक शक्तिशाली बायो-एनहैंसर बनाते हैं, जो एंटीबायोटिक्स और कैंसर की दवाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाता है।
गोमूत्र इम्यूनिटी को बढ़ाता है, घाव भरता है, और हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, गुर्दे की बीमारियों, पुराने चर्म रोग और संक्रमण में लाभ पहुंचाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि अमेरिका ने गोमूत्र पर तीन पेटेंट कराए हैं। भारत में गोमूत्र पर अनुसंधान की कमी रही है।
अमेरिका की रिसर्च-बेस्ड वेबसाइट नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने भी गोमूत्र के फायदों की पुष्टि की है। इसमें मौजूद यूरिक एसिड, एलांटोइन, और क्रिएटिनिन जैसे तत्व इसे एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और कैंसर-रोधी बनाते हैं। आयुर्वेद में इसे हजारों वर्षों से संजीवनी माना गया है।
आयुर्वेद में देसी गाय (बोस इंडिकस) के मूत्र को सबसे उत्तम औषधि माना गया है। सुश्रुत संहिता, अष्टांग संग्रह, और चरक संहिता जैसे ग्रंथों में इसे संजीवनी और अमृत कहा गया है। यह शरीर को स्वस्थ और ताकतवर बनाता है और बुढ़ापे की कमजोरियों से मुक्ति दिलाता है।