क्या पश्चिम बंगाल में बीएलओ को टीएमसी की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है?

Click to start listening
क्या पश्चिम बंगाल में बीएलओ को टीएमसी की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है?

सारांश

पश्चिम बंगाल में बीएलओ को तृणमूल कांग्रेस समर्थित समर्थकों से खतरे का सामना करना पड़ रहा है। स्वपन मंडल ने चुनावी गड़बड़ियों और सुरक्षा की मांग की है। क्या चुनाव आयोग इस स्थिति का समाधान करेगा?

Key Takeaways

  • पश्चिम बंगाल में बीएलओ को धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • तृणमूल कांग्रेस के समर्थक चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी कर रहे हैं।
  • स्वपन मंडल ने सुरक्षा की मांग की है।
  • चुनाव आयोग को इस स्थिति का समाधान करना चाहिए।
  • लोकतंत्र को सुरक्षित रखना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और वोटकोरमी ओइक्यो मंच के महासचिव स्वपन मंडल ने चिंताजनक धमकियों और चुनावी गड़बड़ियों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने रविवार को बताया कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में बीएलओ को तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के लगातार खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

राष्ट्र प्रेस को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में, मंडल ने बताया कि राज्य में गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया शीघ्र ही आरंभ होने वाली है और मतदाता मानचित्रण सहित अधिकांश आधारभूत कार्य बीएलओ द्वारा पहले ही कर लिया गया है।

हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान, कई बीएलओ को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से जुड़े व्यक्तियों द्वारा धमकाया गया और रिश्वत देने का प्रयास भी किया गया, जिससे उन पर संशोधित मतदाता सूची में अवैध मतदाताओं के नाम शामिल करने का दबाव बनाया गया।

उन्होंने कहा, "हमने इन सभी चिंताओं को पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) और अतिरिक्त सीईओ को सौंप दिया है। हमने स्पष्ट रूप से अर्धसैनिक बलों की तैनाती सहित सुरक्षा की मांग की है ताकि बीएलओ बिना किसी डर के अपना कार्य कर सकें।"

2024 के लोकसभा चुनावों में डायमंड हार्बर से तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी की जीत पर टिप्पणी करते हुए, मंडल ने आरोप लगाया कि यह जीत निष्पक्ष जनादेश का प्रतीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि मतदान के दिन मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक पहुँचने नहीं दिया गया और जिन लोगों ने मतदान करने का प्रयास किया उन्हें रोका गया।

उन्होंने कहा, "बीएलओ की मतदान में कोई भूमिका नहीं है, लेकिन मतदान कर्मियों को चुप कराया गया और मतदाताओं को आतंकित किया गया। जीत का अंतर इसलिए बनाया गया क्योंकि पश्चिम बंगाल में विपक्ष को मतदान करने नहीं दिया गया।"

उन्होंने जहांगीर नाम के एक व्यक्ति का भी उल्लेख किया और उस पर मतदाताओं पर दबाव डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया।

मंडल ने कहा कि चुनाव अधिकारियों को लगभग 20-25 कथित 'राष्ट्र-विरोधी तत्वों' की सूची सौंपी गई थी, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं की गई।

उन्होंने यह भी कहा कि अर्धसैनिक बल भी मूकदर्शक बने रहे।

मंडल ने कहा कि तत्कालीन मुख्य चुनाव अधिकारी, आरिज आफताब को बार-बार स्थिति से अवगत कराया गया था, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

उन्होंने आगे कहा, "लोकतंत्र को निरर्थक बना दिया गया है। अब हम भारत के चुनाव आयोग से आशा करते हैं कि वह एक वास्तविक स्वतंत्र वातावरण सुनिश्चित करे ताकि लोकतंत्र की जीत हो सके।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता आवश्यक है। पश्चिम बंगाल में बीएलओ के प्रति हो रही धमकियाँ और चुनावी गड़बड़ियाँ लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को चुनौती देती हैं। सभी पक्षों को एक स्वतंत्र और सुरक्षित चुनावी वातावरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

बीएलओ क्या होते हैं?
बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मतदाता की जानकारी को अपडेट करते हैं और मतदान केंद्रों पर मदद करते हैं।
पश्चिम बंगाल में चुनावी गड़बड़ियों का क्या मामला है?
पश्चिम बंगाल में बीएलओ को तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों द्वारा धमकाए जाने और चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के आरोप लगाए गए हैं।
चुनाव आयोग इस पर क्या कार्रवाई कर रहा है?
स्वपन मंडल ने चुनाव आयोग से सुरक्षा की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।