क्या पश्चिम बंगाल में एसआईआर में अनियमितताएं हो रही हैं?
सारांश
Key Takeaways
- पश्चिम बंगाल एसआईआर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हो रही हैं।
- भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत की है।
- बीएलओ पर राज्य सरकार और टीएमसी का दबाव बढ़ रहा है।
- मृत व्यक्तियों के नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने के मामले सामने आए हैं।
नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी के एसआईआर प्रक्रिया के विरोध और बीएलओ की मृत्यु के हालिया बयानों ने सियासी हलचल को तेज कर दिया है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने बुधवार को आरोप लगाया कि राज्य में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान व्यापक अनियमितताएं उजागर हुई हैं, जिनकी जानकारी उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग को दी है।
मालवीय ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को चुनाव आयोग से मिला और पश्चिम बंगाल में एसआईआर के दौरान हो रही कथित धांधली, इस प्रक्रिया के राजनीतिक दुरुपयोग और दबाव की शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ता और स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) पर अनावश्यक दबाव डाल रहे हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि चुनाव आयोग को बताया गया कि बीएलओ को राज्य सरकार की ओर से मिलने वाले 18,000 रुपये के भुगतान अब तक जारी नहीं किए गए हैं, क्योंकि वित्त विभाग ने मंजूरी नहीं दी है। इसके चलते बीएलओ आर्थिक रूप से प्रभावित हैं। मालवीय ने कहा कि बीएलओ के काम में सहायता के लिए नियुक्त किए जाने वाले डाटा एंट्री ऑपरेटरों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई, जिससे जमीनी स्तर पर काम और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीएलओ की कमी और काम का बढ़ता दबाव ममता बनर्जी सरकार के गैर-जिम्मेदाराना रवैये का नतीजा है। साथ ही, टीएमसी कार्यकर्ताओं पर बीएलओ को डराने-धमकाने और फॉर्म खुद भरने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया गया।
मालवीय ने यह भी दावा किया कि कई जगहों पर मृत व्यक्तियों के नाम भी वोटर लिस्ट में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 से 2025 के बीच करीब 88 लाख लोग दिवंगत हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद मृतकों की जानकारी को वोटर रोल में शामिल किए जाने के कई मामले चुनाव आयोग के सामने लाए गए हैं।