क्या पश्चिम बंगाल में निर्बाध एसआईआर कराने के लिए राज्यपाल ने तृणमूल सरकार को दिए तीन सुझाव?

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क्या पश्चिम बंगाल में निर्बाध एसआईआर कराने के लिए राज्यपाल ने तृणमूल सरकार को दिए तीन सुझाव?

सारांश

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर तृणमूल और भाजपा नेताओं के बीच बहस जारी है। राज्यपाल ने तृणमूल सरकार को एसआईआर में रुकावटें दूर करने और बीएलओ की सुरक्षा के लिए तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। जानिए क्या हैं ये सुझाव और इस पर राजनीति में क्या हलचल है।

Key Takeaways

  • बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • राज्य सरकार को पुलिस की तैनाती बढ़ानी चाहिए।
  • बीएलओ को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
  • राज्यपाल के सुझाव चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में मदद करेंगे।
  • राजनीतिक दबाव से चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।

कोलकाता, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है। इस बीच शुक्रवार को राज्य के गवर्नर सी.वी. आनंद बोस ने तृणमूल सरकार को एसआईआर में रुकावटें हटाने और इस काम में लगे बूथ-लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की सुरक्षा के लिए तीन सुझाव दिए हैं।

गवर्नर ने पश्चिम बंगाल सरकार को यह भी याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों के अनुसार, बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करना और एसआईआर के काम में रुकावटें हटाना राज्य सरकार की ड्यूटी है।

शुक्रवार दोपहर गवर्नर ऑफिस से जारी एक बयान में सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया गया, जिसमें चुनाव आयोग से इन मुद्दों पर ध्यान देने को कहा गया था। इसमें कहा गया था कि अराजकता की इजाजत नहीं दी जा सकती और अगर बीएलओ को धमकाया या रोका जाता है तो स्थिति को गंभीरता से लिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए गवर्नर ने पश्चिम बंगाल सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सिस्टम बनाने को कहा कि न तो बीएलओ को धमकाया जाए और न ही जरूरी एसआईआर प्रक्रिया में किसी भी तरह की रुकावट आए।

गवर्नर ने तीन सुझाव भी दिए। पहला सुझाव यह है कि चूंकि बीएलओ जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, इसलिए जिला प्रशासन को गांवों, कस्बों और शहरों में बूथ स्तर पर उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश दिया जा सकता है।

दूसरा सुझाव यह है कि राज्य सरकार पुलिस को निर्देश दे सकती है कि वह बीएलओ के साथ उनके गिनती के काम में बूथ स्तर पर पर्याप्त संख्या में तैनात रहे।

तीसरा और अंतिम सुझाव यह है कि राज्य सरकार को बीएलओ को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं देनी चाहिए ताकि वे अपना काम आसानी से कर सकें। पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के बाद से तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कई शिकायतें आई हैं कि वह बीएलओ पर रूलिंग पार्टी की मर्जी के हिसाब से बेवजह दबाव डाल रही है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने तो जिला मजिस्ट्रेट और जिला चुनाव अधिकारी पर भी आरोप लगाया था कि वे रूलिंग तृणमूल कांग्रेस के कहने पर बीएलओ पर काम का दबाव बना रहे हैं।

Point of View

बल्कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी करेंगे।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

राज्यपाल ने तृणमूल सरकार को कौन से सुझाव दिए?
राज्यपाल ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन सुझाव दिए: 1. बीएलओ को सुरक्षा प्रदान करना, 2. पुलिस को बूथ स्तर पर तैनात करना, और 3. बीएलओ को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं देना।
तृणमूल कांग्रेस पर क्या आरोप हैं?
तृणमूल कांग्रेस पर आरोप है कि वह बीएलओ पर बेवजह दबाव डाल रही है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में बाधा आ रही है।
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