क्या पटना में उद्योगपति खेमका की हत्या से कानून अपराधियों को रोक सकेगा? नीरज कुमार

सारांश
Key Takeaways
- गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार में सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।
- जेडीयू ने कानून व्यवस्था को सख्त करने का आश्वासन दिया है।
- पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर छह आरोपियों को गिरफ्तार किया।
- महागठबंधन ने इस घटना के खिलाफ बिहार बंद का ऐलान किया है।
- एसआईटी का गठन कर मामले की गहन जांच की जा रही है।
पटना, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या ने सभी को चौंका दिया है। इस घटना को लेकर राजनीति भी गर्म हो गई है। विपक्ष का आरोप है कि बिहार में अपराधियों के हौसले अत्यधिक बढ़ गए हैं। इन आरोपों का जवाब देते हुए जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि कानून अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
नीरज कुमार ने सिवान की घटना पर राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "सिवान में लंबे समय से चल रहे सत्ता संघर्ष के कारण धारदार हथियार से हत्या की गई। घटना के बाद एसपी 40 मिनट के अंदर घटनास्थल पर पहुंचे और दो घंटे के भीतर छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, परिवार ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं कराई है, लेकिन पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है। एसडीपीओ महाराजगंज और डीएसपी साइबर के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है। गहन जांच में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। यह सत्ता संघर्ष के तहत एक हिंसक आपराधिक कृत्य है और कानून अपराधियों से सख्ती से निपटेगा।"
नीरज कुमार ने उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "यह हत्या मर्मांतक और पीड़ाजनक है। डीजीपी ने तुरंत संज्ञान लिया और एसपी सेंट्रल के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि अपराधी जल्द ही कानून के दायरे में होंगे और अपराध करने की जो फेफड़ा है, उसे दुरुस्त कर दिया जाएगा।"
जेडीयू नेता ने महागठबंधन द्वारा किए गए बंद के ऐलान पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "महागठबंधन को चक्का-जाम करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें अपनी जिम्मेदारियों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्हें लालू प्रसाद यादव की संपत्तियों के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन करना चाहिए। अगर बिहार बंद करना है, तो महुआ बाग आवास और अन्य स्थानों पर भी प्रदर्शन होना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "मुद्दा यह है कि लोकतंत्र में विरोध का अधिकार है, लेकिन इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए चुनाव आयोग सक्षम प्राधिकारी है। ऐसे मामलों पर प्रतिक्रिया देना और संवैधानिक निकायों से कार्रवाई का अनुरोध करना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है। मैं पूछना चाहता हूं कि यदि वे 2025 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार बंद कर रहे हैं तो पहले उन्हें यह बताना चाहिए कि वे लालू यादव को राजनीतिक नजरबंदी से कब निकाल रहे हैं।"