क्या पीएम मोदी ने आदि तिरुवथिरई महोत्सव में भाग लिया? स्थानीय लोगों की खुशी

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क्या पीएम मोदी ने आदि तिरुवथिरई महोत्सव में भाग लिया? स्थानीय लोगों की खुशी

सारांश

पीएम मोदी ने गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आयोजित आदि तिरुवथिरई उत्सव में भाग लिया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर सांस्कृतिक धरोहर और एकता का संदेश दिया गया। जानें इस महोत्सव में क्या खास रहा।

Key Takeaways

  • पीएम मोदी का गंगईकोंडा चोलपुरम में भाग लेना सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
  • चोल साम्राज्य की विरासत को मान्यता देने का अवसर।
  • स्थानीय लोगों में खुशी और गर्व का अहसास।
  • ऐतिहासिक घटनाओं का स्मरण और सम्मान।
  • भारत के विकसित होने की दिशा में प्रेरणा लेना।

नई दिल्ली, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में 'आदि तिरुवथिरई उत्सव' में भाग लिया। इस महोत्सव में सभी अधीनम, जीयर स्वामीजी, आध्यात्मिक गुरु और संत उपस्थित रहे।

चेन्नई के गंगईकोंडा चोलपुरम में आदि तिरुवथिरई महोत्सव में प्रधानमंत्री मोदी के शामिल होने पर आकाशवाणी के सहायक निदेशक दर्शन ने कहा, "प्रधानमंत्री और भारत के प्रिय नेता नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में इस महोत्सव में आए और इसकी शोभा बढ़ाई। यह कार्यक्रम राजेंद्र चोल की दक्षिण पूर्व एशियाई देशों पर ऐतिहासिक विजय की हजारवीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का जारी किया गया और गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर के निर्माण को याद किया गया।"

एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी लोगों के प्रति हम आभार व्यक्त करते हैं। पीएम मोदी का यहां कार्यक्रम काफी अच्छा रहा।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि चोल राजाओं ने अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया तक किया था। यह भी एक संयोग है कि मैं शनिवार को ही मालदीव से लौटा हूं और अभी तमिलनाडु में इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हूं।

उन्होंने कहा कि चोल साम्राज्य का इतिहास और उसकी विरासत भारत के वास्तविक सामर्थ्य का प्रतीक है। यह उस भारत के सपने की प्रेरणा है, जिसे लेकर आज हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। चोल राजाओं ने भारत को सांस्कृतिक एकता में पिरोया था। आज हमारी सरकार चोल युग के उन्हीं विचारों को आगे बढ़ा रही है। काशी-तमिल संगमम् और सौराष्ट्र-तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के माध्यम से हम एकता के सदियों पुराने सूत्रों को और अधिक मजबूत कर रहे हैं।

गंगईकोंडा चोलपुरम स्थित मंदिर एक ऐतिहासिक और पवित्र स्थान है, जिसका बहुत महत्व है। इसका निर्माण चोल राजा राजेंद्र चोल ने करवाया था और यह एक हजार वर्षों से भी अधिक समय से भव्य रूप से खड़ा है।

Point of View

यह कहना जरूरी है कि पीएम मोदी की उपस्थिति ने महोत्सव की गरिमा को बढ़ाया है। इस तरह के कार्यक्रम केवल सांस्कृतिक एकता को ही नहीं, बल्कि भारत के इतिहास को भी पुनर्जीवित करते हैं। यह अवसर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपनी धरोहर को कैसे संरक्षित कर सकते हैं।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

आदि तिरुवथिरई महोत्सव का महत्व क्या है?
आदि तिरुवथिरई महोत्सव का महत्व चोल साम्राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक विजय को मान्यता देने में है।
पीएम मोदी ने इस महोत्सव में क्या कहा?
पीएम मोदी ने चोल राजाओं की विरासत और भारत के सांस्कृतिक एकता के महत्व पर जोर दिया।
यह कार्यक्रम कब और कहां आयोजित किया गया?
यह कार्यक्रम 27 जुलाई को तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आयोजित किया गया।