क्या पीएम मोदी की सफलता के पीछे उनकी 'मां' की तपस्या और त्याग छिपा है? जानें संघर्ष से ऊंचाई तक की कहानी

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क्या पीएम मोदी की सफलता के पीछे उनकी 'मां' की तपस्या और त्याग छिपा है? जानें संघर्ष से ऊंचाई तक की कहानी

सारांश

क्या पीएम मोदी की सफलता के पीछे उनकी मां की तपस्या और त्याग छिपा है? आइए जानते हैं उनकी संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणादायक कहानी।

Key Takeaways

  • मां का योगदान हमेशा महत्वपूर्ण होता है।
  • मोदी की यात्रा प्रेरणादायक है।
  • संघर्ष से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
  • परिवारिक मूल्य सफलता में सहायक होते हैं।
  • कड़ी मेहनत से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

नई दिल्ली, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर मां की ख्वाहिश होती है कि उसका बेटा एक सफल और आदर्श इंसान बने। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, वह अपने बच्चे की सफलता के लिए हर चुनौती से लड़ने को तैयार रहती है। हाल ही में भारतीय राजनीति में मां और बेटे के इस अटूट बंधन की चर्चा जोरों पर रही है। आलोचनाओं के बावजूद एक बेटे ने न केवल अपनी मां की प्रतिष्ठा को बनाए रखा, बल्कि अपने आलोचकों को भी मुँहतोड़ जवाब दिया। हम बात कर रहे हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, जिनकी मां हीराबेन उनके लिए सबकुछ थीं।

2015 में जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के दौरे पर थे, तब फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने उनसे पूछा कि वे अपनी सफलता में मां के योगदान को कितना मानते हैं। इस सवाल पर मोदी भावुक हो गए थे। उन्होंने बताया कि मां ने उन्हें पालने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन तक धोए।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मौजूद जानकारी के अनुसार, जब मोदी की मां हीराबेन को यह पता चला कि उनका बेटा गुजरात का मुख्यमंत्री बन गया है, तो वह भावुक हो गई थीं। जब मोदी उनसे मिलने पहुंचे, तो उन्होंने बस इतना कहा, "बेटा, जो सही लगे वो करो, लेकिन रिश्वत कभी मत लेना।"

17 सितंबर 1950 को गुजरात के मेहसाना जिले के छोटे से शहर वडनगर में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ था। उनका परिवार बेहद गरीब था, लेकिन प्रारंभिक कठिनाइयों ने उन्हें मेहनत और संघर्ष का महत्व सिखाया। इस गरीबी ने उन्हें देश की सेवा के लिए प्रेरित किया।

'मोदी आर्काइव' के अनुसार, मोदी के प्रारंभिक दिनों में वडनगर की भूमिका महत्वपूर्ण रही। एक छोटे से घर से लेकर वैश्विक मंच तक उनकी यात्रा मेहनत और लगन की कहानी है। साधारण चाय बेचने वाले से लेकर देश के प्रधानमंत्री बनने तक की उनकी यात्रा, इसी शहर की देन है।

अपने शुरुआती वर्षों में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ काम किया और भाजपा के संगठन में खुद को राजनीति के लिए समर्पित किया। आपातकाल के दौरान भी उन्होंने राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा को साबित किया।

'मोदी आर्काइव' पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 1974 में नवनिर्माण आंदोलन के समय मोदी ने छात्र आंदोलन की शक्ति को देखा। उस समय उन्होंने अपने भाषणों से युवा आंदोलन को प्रेरित किया।

आपातकाल के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया। उनके दृष्टिकोण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने भाजपा के कार्यकर्ता रहते ही 21वीं सदी के विकसित भारत का सपना देखा था।

1999 में चेन्नई में भाजपा की बैठक में मोदी ने संकल्प लिया था कि 21वीं सदी भारत की सदी होगी, जो अब सच साबित हो रहा है।

नरेंद्र मोदी आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने 2014 से 2019 और फिर 2019 से 2024 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्हें गुजरात के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री होने का भी गौरव प्राप्त है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि पीएम मोदी की सफलता में उनकी मां की भूमिका अद्वितीय है। यह कहानी न केवल व्यक्तिगत संघर्ष की है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे परिवारिक मूल्य और समर्पण किसी भी व्यक्ति को ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
NationPress
16/09/2025

Frequently Asked Questions

पीएम मोदी की मां का नाम क्या है?
पीएम मोदी की मां का नाम हीराबेन है, जो उनके जीवन की प्रेरणा रही हैं।
नरेंद्र मोदी का जन्म कब हुआ?
नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ था।
मोदी ने राजनीति में कब प्रवेश किया?
मोदी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आरएसएस से की और बाद में भाजपा में सक्रिय हुए।
क्या मोदी ने अपने बचपन में गरीबी का सामना किया?
हाँ, मोदी का परिवार गरीब था और उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए जीवन की मूल्य को सीखा।
मोदी की सफलता के पीछे कौन है?
मोदी की सफलता के पीछे उनकी मां हीराबेन का महान योगदान है, जिन्होंने उन्हें हर परिस्थिति में समर्थन दिया।